मध्य प्रदेश, 11 मई . राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ महाकौशल प्रांत के ‘संघ शिक्षा वर्ग ‘सामान्य विद्यार्थी का उद्घाटन छतरपुर शहर के सिंचाई कॉलोनी स्थित सरस्वती शिशु मंदिर मे हुआ. इस अवसर पर मंचासीन अतिथियों में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, वर्ग के सर्वाधिकारी नागेंद्र बहादुर सिंह, महाकौशल प्रांत के प्रांत प्रचारक बृजकांत जी उपस्थित रहे.
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, संघ के लोग आंदोलन नहीं करते बल्कि आंदोलित करते हैं. संघ की परंपरा मैं कठोरता और अनुशासन है लेकिन यह कठोरता और अनुशासन हमारे विचारों में क्रांति लाता है. वर्ग का उद्देश्य प्रत्येक स्वयंसेवक के लिए साधना और तपस्या है . संघ एक दृढ़ होकर कार्य करता है. हमें संघ की विचारधारा को अपना कर भारत की दशा और दिशा को बदलना होगा.
पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने संघ विद्यार्थियों से कहा कि यह आपका गौरव है कि आप संघ की शताब्दी काल में वर्ग कर रहे हैं और इस वर्ग का अर्थ है कि हम 15 दिवस जो भी कार्य सीख रहे हैं, वह यहां से वापस जाने के पश्चात अपने पड़ोसियों और अपने मित्रों को भी बताएं और उनके विचारों में भी देश और अपने समाज के लिए समर्पित हो जाने की भाव क्रांति लाएं, तभी हमारा समाज और हमारा देश सुदृढ़ होगा. उन्होंने कहा, पहले हमको बदलना होगा तभी हम परिवार गांव और शहर इसके बाद समाज को बदल पाएंगे और समाज बदलेगा तो निश्चित रूप से देश और विश्व भी बदलेगा.
पं. धीरेंद्र कृष्ण ने कहा, हमारी मूल समस्या है क्षेत्रवाद, भाषावाद और जातिवाद. हमें इन पर काम करना है. हम संतुष्ट होकर संघ का कार्य करें और विचारों की क्रांति को लेकर आगे बढ़ेंगे तो निश्चित ही हम देश और दुनिया को बदल पाएंगे. देश को देश और भारत को भारत बनाए रखने के लिए संघ की आवश्यकता है. इसके साथ ही उन्होंने विद्यार्थियों को और संघ में उपस्थित लोगों को सफलता का मंत्र बताते हुए यह भी कहा कि सफलता पाने के लिए बातों से नहीं रातों से सफलता प्राप्त होगी अर्थात हमें ब्रह्म मुहूर्त से पहले ही जागना होगा और कड़ी मेहनत करके ही हम सफल हो सकते हैं.
इस अवसर पर प्रांत प्रचारक ब्रजकांत जी का वर्ग स्वयंसेवकों से कहना रहा कि वर्ग एक सामूहिक साधना है, संघ शताब्दी वर्ष मना रहा है. भारत ने 2019 मे नवीन शिक्षा प्रणाली की घोषणा की, इससे पहले 80वर्षों तक यूरो व्यवस्था रही है. संघ ने 100 वर्ष की यात्रा मे नाना प्रकार के उतार-चढ़ाव देखे हैंं. संघ ने चार चरण में रचना की. पहला चरण संगठन के लिए (संघठन करके संघठन करेंगे )दूसरा चरण- संघ समाज जीवन, तीसरा चरण 1975 के बाद सामाजिक आंदोलन करना व्यक्ति व्यक्ति के अंदर संघ का विस्तार करना रहा है और चौथे चरण गतिविधियों का कार्य प्रारंभ करना है! प्रान्त प्रचारक जी ने कहा संघ शिक्षा वर्ग का अर्थ है व्यवहारिक जीवन में संघ को उतारना है, संघ का विचार है नित्य नूतन चिर पुरातन है. संघ सामूहिकता है सामूहिकता ही संघ की पहचान है. सामूहिक साधना से ही राष्ट्र का उत्थान होगा, जब साधना होती है तब शक्ति मिलती है और शक्ति से समाज में प्राप्त विषमता को दूर करने का प्रयास होता है.
इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि संघ शिक्षा वर्ग का अर्थ साधना है और वर्ग आंतरिक गुणों का संवर्धन है. परिवर्तन क्रांति से नहीं संक्रांति से होता है. क्रांति स्थाई नहीं होती, संक्रांति विचार बदलती है. वहीं, उल्लेखनीय है कि इस अवसर पर पूरे प्रांत से 182 विद्यार्थी-शिक्षार्थी एवं 35 शिक्षक वर्ग में उपस्थित हुए . यह वर्ग 15 दिवसीय यानी कि 10 मई से आरंभ हुआ है, जोकि 26 मई तक चलेगा.
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/ विलोक पाठक
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