सिफरी ने शृंगवेरपुर के गंगा नदी में मछलियों को छोड़ा
प्रयागराज, 08 मई . गंगा में विलुप्त हो रहे मत्स्य प्रजातियों के संरक्षण एवं संवर्धन को ध्यान में रखते हुए भा0कृ0अनु0परिषद केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सिफरी) ने गुरूवार को शृंगवेरपुर धाम के पवित्र स्थल पर गंगा नदी में 15,000 भारतीय प्रमुख कार्प-कतला, रोहू, मृगल मछलियों के बीज को छोड़ा गया.
मुख्य अतिथि राजेश शर्मा संयोजक गंगा विचार मंच, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन नमामि गंगे जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार ने गंगा के महत्व को बताया. मानव सभ्यता के लिए नदियों का होना और नदियों के अस्तित्व के लिए उसमें जलीय जीवों का होना अति आवश्यक है. इन्ही जीवों में मछली प्रमुख जीव है, जो गंगा नदी की स्वच्छता और पवित्रता को बनाए रखती है. लेकिन विगत दशकों में अति मानवीय सक्रियता के कारण गंगा नदी की मत्स्य एवं मात्स्यिकी में नाकारात्मक बदलाव हुआ, जिससे इनकी संख्या में कमी हुई है.
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के अन्तर्गत आयोजित इस कार्यक्रम में संस्थान के केन्द्राध्यक्ष डॉ डीएन झा ने उपस्थित लोगों को नमामि गंगे परियोजना के बारे में जानकारी दी. कहा कि इसके अन्तर्गत गंगा नदी और इसकी सहायक नदियों में कम हो रहे महत्वपूर्ण मत्स्य प्रजातियों के बीज का रैंचिंग होना रखा है साथ ही लोगो को गंगा के जैव विविधता और स्वच्छता के बारे में जागरूक करना है. संस्थान के वैज्ञानिक डॉ अबसार आलम ने गंगा नदी में मछली और रैंचिंग के महत्व को बताया. उन्होने गंगा को स्वच्छ रखने एवं जैव विविधता को बचाने के लिए उपस्थित लोगों से आह्वान किया. साथ ही सभी को गंगा को स्वच्छ रखने की शपथ दिलाई.
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि रामचंद्र यादव, ग्राम प्रधान, शृंगवेरपुर ने उपस्थित लोगों को गंगा एवं इसके जलीय जीवों को बचाने के लिए कहा. इस अवसर पर गंगा स्नान करने आये स्नानार्थियों और मछुआरों ने भी अपनी बातों को रखा और सभी ने गंगा के प्रति जागरूक होने के साथ ही गंगा को स्वच्छ रखने का संकल्प व्यक्त किया. कार्यक्रम में गंगा विचार मंच के साथ साथ आसपास गाव के मत्स्य पालक, मत्स्य व्यवसायी तथा गंगा तट पर रहने वाले स्थानीय लोगों ने भाग लिया. अन्त में संस्थान के वैज्ञानिक डॉ वेंकटेश ठाकुर ने धन्यवाद दिया और कहा कि हम परियोजना के उद्देश्यों को पाने में सफलता प्राप्त करेंगे.
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/ विद्याकांत मिश्र
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