नई दिल्ली, 3 जून . कागज के प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी निकिता पेपर्स के शेयरों ने कमजोर लिस्टिंग से आज अपने आईपीओ निवेशकों को काफी निराश कर दिया. कमजोर लिस्टिंग के बाद निवेशकों को उस वक्त और जबरदस्त झटका लगा, जब कंपनी के शेयर टूटकर लोअर सर्किट लेवल तक पहुंच गए. आईपीओ के तहत कंपनी के शेयर 104 रुपये के भाव पर जारी किए गए थे. आज एनएसई के एसएमई प्लेटफॉर्म पर इसकी एंट्री 13.46 प्रतिशत डिस्काउंट के साथ 90 रुपये के स्तर पर हुई. लिस्टिंग के तुरंत बाद बिकवाली का दबाव बन जाने के कारण थोड़ी ही देर में ये शेयर गिर कर 85.50 रुपये के लोअर सर्किट लेवल पर पहुंच गया. इस तरह पहले दिन के कारोबार में ही कंपनी के आईपीओ निवेशकों को करीब 17.79 प्रतिशत का नुकसान हो गया.
निकिता पेपर्स का 67.54 करोड़ रुपये का आईपीओ 27 से 29 मई के बीच सब्सक्रिप्शन के लिए खुला था. इस आईपीओ को निवेशकों की ओर से फीका रिस्पॉन्स मिला था, जिसके कारण ये ओवरऑल 1.43 गुना ही सब्सक्राइब हो सका था. इनमें क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (क्यूआईबी) के लिए रिजर्व पोर्शन 0.74 गुना सब्सक्राइब हुआ था. इसी तरह नॉन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (एनआईआई) के लिए रिजर्व पोर्शन में 2.11 गुना सब्सक्रिप्शन आया था. इसके अलावा रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए रिजर्व पोर्शन 1.84 गुना सब्सक्राइब हुआ था. इस आईपीओ के तहत 10 रुपये फेस वैल्यू वाले 64,94,400 नए शेयर जारी किए गए हैं. आईपीओ के जरिए जुटाए गए पैसे का इस्तेमाल कंपनी नया पावर प्लांट लगाने, वर्किंग कैपिटल की जरूरतों को पूरा करने और आम कॉर्पोरेट उद्देश्यों में करेगी.
कंपनी की वित्तीय स्थिति की बात करें तो प्रॉस्पेक्टस में किए गए दावे के मुताबिक इसकी वित्तीय सेहत लगातार मजबूत हुई है. वित्त वर्ष 2021-22 में कंपनी को 6.95 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था, जो अगले वित्त वर्ष 2022-23 में बढ़कर 8.65 करोड़ रुपये और 2023-24 में 16.60 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया. हालांकि इस दौरान कंपनी के राजस्व में लगातार उतार चढ़ाव होता रहा. वित्त वर्ष 2021-22 में कंपनी को 358.49 करोड़ रुपये, 2022-23 में 401.31 करोड़ रुपये और 2023-24 में 346.78 करोड़ रुपये का राजस्व मिला. पिछले वित्त वर्ष की बात करें तो अप्रैल से दिसंबर 2024 के बीच कंपनी को 15.68 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हो चुका था. इसी तरह इस अवधि में कंपनी 272.38 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल कर चुकी है.
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/ योगिता पाठक
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