श्रीनगर, 28 अक्टूबर (Udaipur Kiran) . जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने मंगलवार को सरकारी और सामुदायिक भूमि पर अवैध रूप से बने घरों के मालिकाना हक को मान्यता देने संबंधी एक निजी विधेयक को खारिज कर दिया. Chief Minister उमर अब्दुल्ला ने इसका कड़ा विरोध करते हुए कहा कि इसके पारित होने से भूमि हड़पने के द्वार खुल जाएँगे.
पीडीपी विधायक वाहिद पारा द्वारा पेश किए गए इस विधेयक का उद्देश्य संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा प्रदत्त आश्रय के अधिकार का हवाला देते हुए इन भूमियों पर बने घरों के वर्तमान में काबिज निवासियों को स्वामित्व या हस्तांतरण अधिकार प्रदान करना था.
Chief Minister उमर अब्दुल्ला ने श्रीनगर में एक समारोह से बाद संवाददाताओं से कहा कि हम ऐसा विधेयक कैसे पारित कर सकते हैं जो भू-माफियाओं और अवैध अतिक्रमणकारियों की मदद करता हो? जिसमें यह नहीं कहा जा सकता कि वे जम्मू-कश्मीर के नागरिक हैं या उन्होंने हाल ही में यहाँ आकर घर बनाए हैं लेकिन हमें उन्हें ज़मीन देनी होगी.
वह पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के विधायक द्वारा सरकारी ज़मीन पर घर बनाने वालों को मालिकाना हक प्रदान करने के लिए लाए गए निजी विधेयक का अपनी सरकार द्वारा समर्थन न करने के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे.
इससे पहले पारा से विधेयक वापस लेने को कहा गया था लेकिन पीडीपी नेता ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक और पूर्व Chief Minister शेख अब्दुल्ला की ज़मीन जोतने की नीति और 2002 में फ़ारूक़ अब्दुल्ला के रोशनी अधिनियम का हवाला देने की कोशिश की.
एक तीखी बहस में Chief Minister अब्दुल्ला ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया और इसकी तुलना बेहद विवादास्पद और अंततः बंद हो चुकी रोशनी योजना से की. उन्होंने याद दिलाया कि उनके पिता की सरकार के तहत शुरू की गई 2002 की मूल रोशनी योजना का उद्देश्य उन लोगों के लिए पट्टे के अधिकारों को फ्रीहोल्ड अधिकारों में बदलना था जिनके पास उग्रवाद शुरू होने से पहले ज़मीन का कानूनी कब्ज़ा था.
उन्होंने कहा कि इससे होने वाला राजस्व बिजली उत्पादन परियोजनाओं के लिए था. Chief Minister ने कहा कि गुलाम नबी आज़ाद के नेतृत्व वाली पीडीपी-कांग्रेस सरकार ने उग्रवाद-पूर्व की समय-सीमा हटा दी जिसके कारण विवाद पैदा हुए जिनमें शूमि जिहाद के आरोप भी शामिल थे और अंततः अदालत ने इस योजना को खारिज कर दिया जहाँ सरकार इसका बचाव नहीं कर सकी.
उमर अब्दुल्ला ने ज़ोर देकर कहा कि मौजूदा विधेयक रोशनी से कहीं आगे जाता है, यह राज्य की ज़मीन पर अवैध कब्ज़ों को वैध बनाने की कोशिश करता है, न कि सिर्फ़ मौजूदा क़ानूनी पट्टों को नियमित करने की.
विधायक का यह प्रस्ताव रोशनी योजना से परे है. विधेयक में कोई समय-सीमा नहीं दी गई है. उन्होंने कहा कि अगर यह पारित हो जाता है तो मैं कल ही जाकर ज़मीन के एक टुकड़े पर एक अच्छा सा घर बना लूँगा और वह ज़मीन मेरे नाम हो जाएगी. हम ऐसा नहीं कर सकते. पारा द्वारा सीनियर अब्दुल्ला के बारे में दिए गए तर्क और सरकार के रुख़ को राजनीति से प्रेरित या ज़मीन जिहाद जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने वाले समूहों के डर से प्रेरित बताते हुए Chief Minister ने अपने दादा शेख अब्दुल्ला की विरासत और ऐतिहासिक ज़मीन से जोतने वाले सुधारों का हवाला देते हुए कहा कि ज़मीन से जोतने वाले (सीनियर अब्दुल्ला द्वारा लागू किया गया क़ानून) ज़मीन हड़पने वालों को नहीं बल्कि जोतने वालों को अधिकार दे रहा था.
उन्होंने आगे कहा कि ज़मीन से जोतने वाले और आप जो प्रस्ताव दे रहे हैं, दोनों में बहुत बड़ा अंतर है. Chief Minister ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) जैसी मौजूदा योजनाओं के माध्यम से भूमिहीनों को आवास प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है जिसके तहत घर निर्माण के लिए सरकारी ज़मीन आवंटित की जाती है.
हालाँकि उन्होंने यह भी कहा कि सरकार अवैध कब्ज़ों को पुरस्कृत नहीं कर सकती. हम उन्हें पाँच एकड़ ज़मीन देंगे. जिनके पास घर नहीं है, हम उन्हें देंगे. लेकिन फिर आप इसे इस तथ्य से जोड़ते हैं कि जो ज़मीन पर अवैध रूप से बैठा है मैं उसे मुफ़्त ज़मीन दूँगा. हम ऐसा नहीं करेंगे.
पारा द्वारा भाजपा की ओर इशारा करते हुए बताए गए डर के बारे में बात करते हुए उमर ने पलटवार करते हुए कहा कि आपने (पारा) कहीं कहा था कि हम उनके डर के कारण काम करते हैं. अगर हमें उनके डर के कारण काम करना होता तो हम उन्हें इस तरफ (ट्रेज़री बेंच) लाते और साथ मिलकर काम करते. Chief Minister ने स्पष्ट किया कि यह पीडीपी ही थी जो उनके विधेयक पर भाजपा और धर्म को चर्चा में ला रही थी. उन्होंने आगे कहा कि मैंने इस विधेयक को अस्वीकार करने के लिए उस चीज़ का इस्तेमाल नहीं किया. मैंने कहा था कि आप बाढ़ का द्वार खोल देंगे.
पारा की इस टिप्पणी का ज़िक्र करते हुए कि इस विधेयक से Chief Minister के रिश्तेदारों को भी फ़ायदा होगा, उन्होंने कहा कि मेरे रिश्तेदार अवैध कब्ज़े में नहीं थे, उनके पास एक पट्टा था जिसका (दूसरे पक्ष द्वारा) उल्लंघन किया गया.
उन्होंने विधेयक पेश किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि मैं अपने रिश्तेदारों के लिए भी ऐसा विधेयक नहीं लाऊँगा. फिर आप इसमें धर्म और क्षेत्र को भी शामिल कर देते हैं.
पारा द्वारा विधेयक वापस लेने से इनकार करने के बाद अध्यक्ष अब्दुल रहीम राथर ने इसे मतदान के लिए रखा लेकिन इसे केवल दो सदस्यों का समर्थन प्राप्त हुआ. विधेयक ध्वनिमत से गिर गया.
(Udaipur Kiran) / बलवान सिंह
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