दिन भर की भागदौड़ से उबरने के बाद, अक्सर लोग अपने साथी के साथ कुछ प्यार भरे पल बिताते हैं। यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है और लगभग हर कोई अपने जीवन में कम से कम एक बार ऐसे खूबसूरत पलों का आनंद लेता है। ये वो पल होते हैं जिन्हें इंसान ज़िंदगी भर संजोकर रखता है, वरना तो दिन भर तो खाना-पीना और काम ही बीत जाता है। एक व्यस्त दिन के बाद, जब रात होती है, तो माहौल शांत हो जाता है। खासकर आधी रात के बाद, अक्सर देखा गया है कि पुरुष ज़्यादा रोमांटिक या भावुक हो जाते हैं। यह सिर्फ़ एक आदत नहीं है; माना जाता है कि इसमें शरीर के हार्मोन भी अहम भूमिका निभाते हैं। आइए हम बताते हैं कि आधी रात के बाद पुरुषों का मूड अचानक क्यों बदल जाता है।
हार्मोन और बॉडी क्लॉक के बीच संबंध
हमारे शरीर में हार्मोन का स्तर दिन और रात के बीच बदलता रहता है। इसे सर्कैडियन रिदम या बॉडी क्लॉक कहते हैं। सोसाइटी ऑफ एंडोक्रिनोलॉजी के अनुसार, पुरुषों में शारीरिक संबंधों से जुड़ा एक प्रमुख हार्मोन, टेस्टोस्टेरोन, सुबह के समय सबसे ज़्यादा होता है। यही कारण है कि सुबह को ऊर्जा और सक्रियता का समय माना जाता है। एक व्यस्त और थकाऊ दिन के बाद, जब माहौल शांत होता है, तो शरीर आराम करना शुरू कर देता है। जर्नल ऑफ न्यूरोसाइकोफार्माकोलॉजी (LWH) में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देर रात सोने से पहले, शरीर गोनैडोट्रोपिन हार्मोन LH और FSH में उतार-चढ़ाव का अनुभव करता है, जो मूड और भावनाओं को प्रभावित कर सकता है।
टेस्टोस्टेरोन और रात का प्रभाव
हालांकि टेस्टोस्टेरोन का स्तर सुबह के समय सबसे अधिक होता है, सोसाइटी ऑफ एंडोक्रिनोलॉजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि रात में इसका स्तर पूरी तरह से कम नहीं होता है। कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि रात के दौरान टेस्टोस्टेरोन के स्तर में थोड़ा उतार-चढ़ाव होता है, जो पुरुषों में प्रेम और आकर्षण की भावनाओं को जगा सकता है। साइंस डायरेक्ट में प्रकाशित शोध में पाया गया कि जैसे-जैसे रात बढ़ती है, नींद लाने वाला हार्मोन मेलाटोनिन अधिक सक्रिय हो जाता है। मेलाटोनिन शरीर को आराम देता है और थकान कम करता है। इस दौरान तनाव कम होता है और पुरुष अधिक सहज महसूस करते हैं। यह सहजता रोमांटिक बातचीत और अंतरंगता को जन्म दे सकती है।
एक शांत वातावरण भी योगदान देता है
आधी रात के बाद का समय अक्सर शांत और सुकून भरा होता है। शोर कम हो जाता है, काम की चिंताएँ दूर हो जाती हैं और साथी के साथ समय बिताने के लिए माहौल अनुकूल हो जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के अनुसार, जब तनाव कम होता है, तो ऑक्सीटोसिन (प्रेम हार्मोन) का स्तर भी बढ़ता है, जो रिश्तों को मज़बूत बनाने में मदद करता है।
व्यस्त दिन के बाद शरीर थका हुआ ज़रूर होता है, लेकिन यह थकान आराम में बदल सकती है और भावनात्मक जुड़ाव बढ़ा सकती है। नेशनल स्लीप फ़ाउंडेशन की एक रिपोर्ट बताती है कि सोने से ठीक पहले का समय कई लोगों के लिए सबसे ज़्यादा भावनात्मक होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ़ हार्मोनल समस्या नहीं है, बल्कि मानसिक स्थिति भी इसमें अहम भूमिका निभाती है। पुरुष रात में अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त करने में ज़्यादा सहज महसूस करते हैं। यही वजह है कि कई जोड़े देर रात तक लंबी बातचीत या रोमांटिक पलों का आनंद लेते हैं।
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