सनातन धर्म में भगवान शिव को संहारक देवता माना जाता है। इन्हें आदि पंच देवों और त्रिदेवों में शामिल किया गया है। भगवान शिव को विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे शंकर, आशुतोष, महादेव और भोलेनाथ।
भगवान शिव की कृपा पाने के मंत्र
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार, भगवान शिव अपनी सरलता के कारण जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। जो भक्त सच्चे मन से उनकी पूजा करते हैं, भगवान शिव उन पर जल्दी कृपा करते हैं। यहां कुछ मंत्र दिए जा रहे हैं जो भक्तों को भगवान शिव से जोड़ते हैं।
पंचाक्षरी शिव मंत्र
ॐ नमः शिवाय।
इस मंत्र का अर्थ है, 'मैं भगवान शिव को नमन करता हूँ।' यह मंत्र शिव मंत्रों में सबसे प्रसिद्ध है। मान्यता है कि सावन में इसका प्रतिदिन जाप भगवान शिव को प्रसन्न करता है। शिवरात्रि के दिन इसका 108 बार जप करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
रूद्र मंत्र
ओम नमो भगवते रुद्रा।
इसका अर्थ है, 'मैं पवित्र रूद्र को नमन करता हूँ।' इस मंत्र के जाप से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
रूद्र गायत्री मंत्र
ओम तातपुरुशाया विडमाहे महादेवाया धिमाही तन्नो रुद्रा प्रचोडाय।
इस मंत्र का अर्थ है, 'हे भगवान शिव, मुझे ज्ञान का भंडार दें और मेरे हृदय में रूद्र का प्रकाश भरें।' यह मंत्र मानसिक शांति और ज्ञान का प्रकाश प्रदान करता है।
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्रिम्बकम यजामाहे सुगंधिम पुशती-वर-वर्धाम उर्वारुकमिवा बंधनम मृट्टर्मुक्शिया मैमरीतात।
इसका अर्थ है, 'हे शिव, आप हमें अमरता का आशीर्वाद दें।' यह मंत्र अनहोनी के डर को दूर करने में मदद करता है और मानसिक शक्ति का आह्वान करता है।
दारिद्री डाहन स्तोत्र
वशिश द्वारा रचित स्तोत्रा सभी बीमारियों के लिए उपाय है।
इसका अर्थ है, 'हमारे सभी रोगों से मुक्ति मिले और एक स्वस्थ शिशु का जन्म हो।' इस मंत्र के जाप से धन और अच्छे भविष्य की प्राप्ति होती है।
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