Next Story
Newszop

डॉक्टर-अस्पताल के चक्कर से बचना है? योग को बनाइए ज़िंदगी का हिस्सा, देश का बोझ भी होगा कम

Send Push

सोचिए,हमारे देश में जहां सरकारी अस्पतालों में लंबी-लंबी कतारें आम बात हैं और अच्छा इलाज महंगा होता जा रहा है,वहां क्या कोई ऐसा‘घरेलू नुस्खा’हो सकता है जो हमें बीमार ही न पड़ने दे?जवाब है -हाँ!और उस नुस्खे का नाम है'योग'।योग का मतलब सिर्फ हाथ-पैर मोड़ना या लंबी-लंबी साँसें लेना नहीं है। यह असल में एक ऐसा शक्तिशाली‘डॉक्टर’है जो चुपचाप हमारे अंदर बैठकर हमें भविष्य की बड़ी-बड़ी बीमारियों से बचाता है।बीमारी से इलाज नहीं,बीमारी से बचावआजकल हम जिस तरह की ज़िंदगी जी रहे हैं,उसमेंडायबिटीज (शुगर),हाई ब्लड प्रेशर और मोटापाजैसी बीमारियाँ घर-घर की कहानी बन चुकी हैं। इन्हें‘लाइफस्टाइल की बीमारियाँ’कहा जाता है। हम अक्सर बीमार पड़ने का इंतज़ार करते हैं और फिर डॉक्टरों के चक्कर काटते हैं। योग इसी सोच को जड़ से बदलता है। यह हमें सिखाता है कि इलाज करवाने से बेहतर है कि हम खुद को इतना मज़बूत बना लें कि बीमारी हमारे पास फटके ही नहीं।मशहूर योग गुरुहिमालयन सिद्ध अक्षरकहते हैं, "भारत ने योग के रूप में दुनिया को एक अनमोल तोहफा दिया है,जो शरीर और मन दोनों को बनाता है। आज के समय में योग बीमारियों से लड़ने का एक शांतिपूर्ण लेकिन दमदार तरीका है।"कैसे करता है योग अपना जादू?जब हम साधारण साँस वाले व्यायाम (प्राणायाम),ध्यान और कुछ आसन करते हैं,तो हमारे शरीर में एक अनोखी शक्ति पैदा होती है।शरीर में खून का दौरा (blood flow)बेहतर होता है।दिमाग को शांत करने वाले नर्वस सिस्टम को सुकून मिलता है।और सबसे बड़ी चीज़ -तनाव (Stress)कम होता है!जब तनाव कम होता है,तो शरीर की बीमारियों से लड़ने की ताकत (इम्युनिटी) अपने आप बढ़ जाती है,खाना अच्छे से पचता है और नींद गहरी आती है। यही वो तीन‘सुरक्षा कवच’हैं जो हमें छोटी-मोटी बीमारियों से बचाते हैं।देश का बोझ कैसे कम होगा?इसे ऐसे समझिए। भारत अपनी कमाई (GDP)का सिर्फ3.2%ही स्वास्थ्य पर खर्च करता है,लेकिन इसका भी60%हिस्सा लाइफस्टाइल वाली बीमारियों (जैसे डायबिटीज,ब्लड प्रेशर) के इलाज में चला जाता है। योग गुरुअखिल गोरेबताते हैं कि ये ऐसी बीमारियाँ हैं,जिन्हें हम अपनी आदतें सुधारकर रोक सकते हैं।जब ज़्यादा से ज़्यादा लोग अपनी रोज़ की ज़िंदगी में योग को शामिल कर लेंगे,तो क्या होगा?ब्लड प्रेशर,शुगर,मोटापे और तनाव जैसी बीमारियों के मामले कम होंगे।अस्पतालों पर मरीजों का बोझ घटेगा।और डॉक्टर अपना कीमती समय और संसाधन उन मरीजों पर लगा पाएंगे,जिन्हें वाकई में गंभीर इलाज की ज़रूरत है।दिल्ली एम्स (AIIMS)जैसी बड़ी संस्थाओं में हुई रिसर्च भी यह साबित कर चुकी है कि योग ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने,स्ट्रेस को घटाने और डिप्रेशन जैसी मानसिक बीमारियों को भी दूर करने में रामबाण है।तो करना क्या है?अखिल गोरे कहते हैं, "अगर हर भारतीय नागरिक रोज़ सिर्फ30मिनट भी किसी गुरु के निर्देशन में योग करे,तो अगले10सालों में हम इन बीमारियों पर होने वाले खर्च में15-20%की कटौती कर सकते हैं।"योग महंगा नहीं है,इसे कोई भी,कहीं भी कर सकता है,चाहे वो गांव में हो या शहर में। यह हमें सिर्फ शारीरिक रूप से ही नहीं,बल्कि मानसिक रूप से भी जागरूक बनाता है। हम क्या खाते हैं,हमारी आदतें कैसी हैं,हम अपनी ज़िंदगी कैसे जीते हैं - योग हमें इन सब के प्रति ज़िम्मेदार बनाता है।संक्षेप में, अब समय आ गया है कि हम योग को सिर्फ़ एक व्यायाम न समझें, बल्कि इसे अपने स्वास्थ्य की सबसे बड़ी 'नीति' मानें। यह हमें 'उपचार' की दुनिया से निकालकर 'देखभाल' की दुनिया में ले जाएगा, जहाँ हम स्वस्थ, सशक्त और आत्मनिर्भर होंगे। यही वह भविष्य है जिसका भारत हकदार है।
Loving Newspoint? Download the app now