ढाका: पाकिस्तान के सीनियर सैन्य अफसर जनरल साहिर शमशाद मिर्जा का बांग्लादेश दौरा विवादों से घिर गया है। इसकी वजह बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के हेड मोहम्मद यूनुस की ओर से जनरल मिर्जा को आर्ट ऑफ ट्रायम्फ भेंट करना है। इस कलाकृति में भारत के नक्शे में कथित तौर पर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को दिखाया गया है। इसने ना सिर्फ भारत को नाराज किया है, बल्कि पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में अस्थिरता का अंदेशा पैदा कर दिया है।
न्यूज18 की रिपोर्ट कहती है कि भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र को बांग्लादेश के विवादास्पद मानचित्र में शामिल करने के पीछे बड़ी साजिश हो सकती है। शीर्ष खुफिया सूत्रों का कहना है कि भारत के खिलाफ साजिश में शामिल उसके पड़ोसी देशों के लिए पूर्वोत्तर दक्षिण पूर्व एशिया का प्रवेश द्वार है। पूर्वोत्तर क्षेत्र देश के सबसे समृद्ध संसाधन क्षेत्रों में से एक है क्योंकि यहां 1.1 बिलियन टन कोयले का भंडार है। खासतौर से असम और मेघालय काफी समृद्ध हैं।
भावना भड़काने का सस्ता तरीकाखुफिया सूत्रों का कहना है कि इस तरह का विवादित नक्शा अलगाववादी भावनाओं को फिर से जगाने का एक सस्ता तरीका है। मानचित्रों, बयानों के जरिए पूर्वोत्तर को दूसरे देश में चित्रित करना युद्ध का ही एक नरम कदम है। यूनुस पाकिस्तान के माध्यम से यह संदेश देना चाहते हैं कि भारत की सीमाएं बातचीत योग्य हैं। किसी बाहरी ताकत को इस बातचीत में शामिल किया जा सकता है। पूर्वोत्तर में विदेशी हस्तक्षेप हालिया वर्षों में देखा गया है।
मणिपुर के हालिया मैतेई- कुकी संघर्ष में म्यांमार से तस्करी किए गए हथियारों और सीमा पार स्थित उग्रवादी पनाहगाहों के कारण मुश्किल बढ़ी। विदेश से प्रशिक्षित विद्रोहियों ने म्यांमार के चिन राज्य से शरणार्थियों की आमद का फायदा उठाया। बड़ी संख्या में मौतों और विस्थापन ने मणिपुर को बीते कई दशकों में भारत के सबसे भीषण जातीय संघर्ष से एक बना दिया।
पूर्वोत्तर में हथियार तस्करीरिपोर्ट बताती है कि अंतरराष्ट्रीय हथियार तस्करी नेटवर्क मणिपुर और नागालैंड में हथियारों की तस्करी करते रहे हैं। बीते कुछ वर्षों में ये हथियार पाए उग्रवादी हिंसा फैला रहे हैं। ये रूट तामू-मोरेह और सागाइंग क्षेत्र से चलते हैं, जिनमें चीनी राइफलें शामिल हैं। एनआईए ने म्यांमार स्थित हथियार कार्टेल और जातीय विद्रोही दलालों से फंडिंग का पता लगाया है।
असम-म्यांमार सीमा पर 2013-24 में उल्फा और नागा उग्रवादियों ने म्यांमार के सुरक्षित ठिकानों और अवैध सीमा पार व्यापार का इस्तेमाल करते हुए अपनी गतिविधियां की हैं। सागिंग और काचिन क्षेत्रों में शिविरों में प्रशिक्षण और विस्फोटक उपलब्ध कराए गए। पकड़े गए कार्यकर्ताओं से चीन निर्मित डेटोनेटर और सैटेलाइट रेडियो बरामद किए गए।
सीमा पर दूसरी गतिविधियांअसम-बांग्लादेश कॉरिडोर पर 2023-24 की गिरफ्तारियों से अंसारुल्लाह बांग्ला टीम से जुड़े जिहादी स्लीपर सेल का पर्दाफाश हुआ, जो आतंकी हमलों की साजिश रच रहे थे। गोल्डन ट्रायंगल-मिजोरम-मणिपुर (2022-25) में म्यांमार से नार्को-आतंकवादी मार्गों ने विद्रोही हिंसा को वित्तपोषित किया है।
त्रिपुरा और निचला असम में2024 में सीमा पार से कट्टरपंथी प्रचारकों और बांग्लादेश से अवैध धन के कारण सांप्रदायिक दंगे हुए। चटगांव स्थित कट्टरपंथी मोर्चों और खाड़ी देशों के दानदाताओं के इस खेल को पीछे होने का पता चला। कहा जा सकता है कि यूनुस पूरे क्षेत्र में अस्थिरता की वजह बन सकते हैं।
न्यूज18 की रिपोर्ट कहती है कि भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र को बांग्लादेश के विवादास्पद मानचित्र में शामिल करने के पीछे बड़ी साजिश हो सकती है। शीर्ष खुफिया सूत्रों का कहना है कि भारत के खिलाफ साजिश में शामिल उसके पड़ोसी देशों के लिए पूर्वोत्तर दक्षिण पूर्व एशिया का प्रवेश द्वार है। पूर्वोत्तर क्षेत्र देश के सबसे समृद्ध संसाधन क्षेत्रों में से एक है क्योंकि यहां 1.1 बिलियन टन कोयले का भंडार है। खासतौर से असम और मेघालय काफी समृद्ध हैं।
भावना भड़काने का सस्ता तरीकाखुफिया सूत्रों का कहना है कि इस तरह का विवादित नक्शा अलगाववादी भावनाओं को फिर से जगाने का एक सस्ता तरीका है। मानचित्रों, बयानों के जरिए पूर्वोत्तर को दूसरे देश में चित्रित करना युद्ध का ही एक नरम कदम है। यूनुस पाकिस्तान के माध्यम से यह संदेश देना चाहते हैं कि भारत की सीमाएं बातचीत योग्य हैं। किसी बाहरी ताकत को इस बातचीत में शामिल किया जा सकता है। पूर्वोत्तर में विदेशी हस्तक्षेप हालिया वर्षों में देखा गया है।
मणिपुर के हालिया मैतेई- कुकी संघर्ष में म्यांमार से तस्करी किए गए हथियारों और सीमा पार स्थित उग्रवादी पनाहगाहों के कारण मुश्किल बढ़ी। विदेश से प्रशिक्षित विद्रोहियों ने म्यांमार के चिन राज्य से शरणार्थियों की आमद का फायदा उठाया। बड़ी संख्या में मौतों और विस्थापन ने मणिपुर को बीते कई दशकों में भारत के सबसे भीषण जातीय संघर्ष से एक बना दिया।
पूर्वोत्तर में हथियार तस्करीरिपोर्ट बताती है कि अंतरराष्ट्रीय हथियार तस्करी नेटवर्क मणिपुर और नागालैंड में हथियारों की तस्करी करते रहे हैं। बीते कुछ वर्षों में ये हथियार पाए उग्रवादी हिंसा फैला रहे हैं। ये रूट तामू-मोरेह और सागाइंग क्षेत्र से चलते हैं, जिनमें चीनी राइफलें शामिल हैं। एनआईए ने म्यांमार स्थित हथियार कार्टेल और जातीय विद्रोही दलालों से फंडिंग का पता लगाया है।
असम-म्यांमार सीमा पर 2013-24 में उल्फा और नागा उग्रवादियों ने म्यांमार के सुरक्षित ठिकानों और अवैध सीमा पार व्यापार का इस्तेमाल करते हुए अपनी गतिविधियां की हैं। सागिंग और काचिन क्षेत्रों में शिविरों में प्रशिक्षण और विस्फोटक उपलब्ध कराए गए। पकड़े गए कार्यकर्ताओं से चीन निर्मित डेटोनेटर और सैटेलाइट रेडियो बरामद किए गए।
सीमा पर दूसरी गतिविधियांअसम-बांग्लादेश कॉरिडोर पर 2023-24 की गिरफ्तारियों से अंसारुल्लाह बांग्ला टीम से जुड़े जिहादी स्लीपर सेल का पर्दाफाश हुआ, जो आतंकी हमलों की साजिश रच रहे थे। गोल्डन ट्रायंगल-मिजोरम-मणिपुर (2022-25) में म्यांमार से नार्को-आतंकवादी मार्गों ने विद्रोही हिंसा को वित्तपोषित किया है।
त्रिपुरा और निचला असम में2024 में सीमा पार से कट्टरपंथी प्रचारकों और बांग्लादेश से अवैध धन के कारण सांप्रदायिक दंगे हुए। चटगांव स्थित कट्टरपंथी मोर्चों और खाड़ी देशों के दानदाताओं के इस खेल को पीछे होने का पता चला। कहा जा सकता है कि यूनुस पूरे क्षेत्र में अस्थिरता की वजह बन सकते हैं।
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