इस्लामाबाद: पाकिस्तान को चीन से अपनी समुद्री ताकत बढ़ाने के लिए बड़ी मदद मिलने जा रही है। पाकिस्तान के नौसेना प्रमुख ने बताया है कि चीन से हैंगर श्रेणी की पनडुब्बियों का पहला बैच अगले साल पाकिस्तानी नेवी इस्तेमाल करने लगेगी। इस पनडुब्बी से निश्चित तौर पर पाकिस्तानी नौसेना की ताकत बढ़ेगी। विश्लेषकों का मानना है कि इससे हिंद महासागर में भारत की मुश्किल बढ़ सकती है। कई एक्सपर्ट ने चीन-पाक के समुद्री गठजोड़ को भारत के लिए चिंता का सबब कहा है।
पाकिस्तान के नौसेना प्रमुख एडमिरल नवीद अशरफ ने ग्लोबल टाइम्स से पुष्टि की है कि चीन और पाकिस्तान का पनडुब्बी कार्यक्रम सुचारू रूप से आगे बढ़ रहा है। चीनी निर्मित प्लेटफॉर्म विश्वसनीय, तकनीकी रूप से उन्नत और पाकिस्तानी नौसेना की परिचालन आवश्यकताओं के अनुकूल हैं। ये अगले साल तक पाक नेवी की सेवा में आ जाएंगी।
पाक को मिलेंगी 8 पनडुब्बीसाल 2015 के एक समझौते के तहत पाकिस्तान को चीन से आठ हैंगर श्रेणी की पनडुब्बियां मिलेंगी। इनमें से चार चीन से और चार तकनीक हस्तांतरण व्यवस्था के तहत स्थानीय स्तर पर निर्मित होंगी। 5 अरब अमेरिकी डॉलर का यह अनुबंध बीजिंग का अब तक का सबसे बड़ा हथियार निर्यात सौदा है।
पाकिस्तान दुनिया में चीनी हथियारों का सबसे बड़ा आयातक है। इसमें नौसैनिक प्रणालियां भी शामिल हैं। इस्लामाबाद को पहले ही चार टाइप 054 फ्रिगेट मिल चुके हैं, जिनका नाम बदलकर तुगरिल श्रेणी फ्रिगेट कर दिया गया है। पाकिस्तान को जेट, मिसाइलें और दूसरे हथियार भी चीन से मिल रही है।
क्या है खासियतचीन की हैंगर पनडुब्बियां एडवांस सेंसर और हथियारों के अलावा स्टर्लिंग एयर-इंडीपेन्डेंट प्रोपल्शन (एआईपी) से लैस है। इससे यह पनडुब्बी बिना सतह पर आए बिना दो से तीन हफ्ते पानी में रह सकती है। ये पनडुब्बियां पारंपरिक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों की तुलना में बिना सतह पर आए ज्यादा पानी के नीचे रह सकती है। भारत के पास AIP तकनीक की पनडुब्बी नहीं है।
इन पनडुब्बियों का वजन 2,800 टन और लंबाई 76 मीटर है। इसकी स्पीड पानी के अंदर 20 नॉटिकल और ऊपर 12 नॉटिकल है। यह 6 टॉरपीडो ट्यूब, Yu-6 टॉरपीडो और YJ-82 एंटी-शिप मिसाइल दाग सकती हैं। इसके अलावा यह पनडुब्बी बाबर-3 सबमरीन लॉन्च क्रूज मिसाइल (SLCM) से लैस की जा सकती है, जो 450–500 किमी तक वार करने में सक्षम है।
भारत की चिंताविश्लेषकों का कहना है कि हैंगर श्रेणी की पनडुब्बियां खासतौर से उत्तरी अरब सागर में भारत के नौसैनिक प्रभुत्व को चुनौती दे सकती हैं। वॉशिंगटन स्थित हडसन इंस्टीट्यूट की लिसेलोटे ओडगार्ड ने कहा कि इससे पाकिस्तान की एंटी-एक्सेस और क्षेत्र निषेध क्षमता बढ़ती है। ये पाकिस्तान की स्थिति को मजबूत करते हुए भारत की समुद्री रणनीति को जटिल बनाती हैं।
पाकिस्तान वर्तमान में फ्रांस से मिलीं पांच पारंपरिक हमलावर पनडुब्बियों का संचालन करता है। भारत के पास परमाणु ऊर्जा से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां हैं। इनमें INS अरिहंत और INS अरिघाट शामिल हैं। स्टॉकहोम स्थित नीति संस्थान के जगन्नाथ पांडा का कहना है कि इससे उत्तरी अरब सागर में भारतीय पनडुब्बी रोधी अभियानों की लागत बढ़ेगी।
पाकिस्तान के नौसेना प्रमुख एडमिरल नवीद अशरफ ने ग्लोबल टाइम्स से पुष्टि की है कि चीन और पाकिस्तान का पनडुब्बी कार्यक्रम सुचारू रूप से आगे बढ़ रहा है। चीनी निर्मित प्लेटफॉर्म विश्वसनीय, तकनीकी रूप से उन्नत और पाकिस्तानी नौसेना की परिचालन आवश्यकताओं के अनुकूल हैं। ये अगले साल तक पाक नेवी की सेवा में आ जाएंगी।
पाक को मिलेंगी 8 पनडुब्बीसाल 2015 के एक समझौते के तहत पाकिस्तान को चीन से आठ हैंगर श्रेणी की पनडुब्बियां मिलेंगी। इनमें से चार चीन से और चार तकनीक हस्तांतरण व्यवस्था के तहत स्थानीय स्तर पर निर्मित होंगी। 5 अरब अमेरिकी डॉलर का यह अनुबंध बीजिंग का अब तक का सबसे बड़ा हथियार निर्यात सौदा है।
पाकिस्तान दुनिया में चीनी हथियारों का सबसे बड़ा आयातक है। इसमें नौसैनिक प्रणालियां भी शामिल हैं। इस्लामाबाद को पहले ही चार टाइप 054 फ्रिगेट मिल चुके हैं, जिनका नाम बदलकर तुगरिल श्रेणी फ्रिगेट कर दिया गया है। पाकिस्तान को जेट, मिसाइलें और दूसरे हथियार भी चीन से मिल रही है।
क्या है खासियतचीन की हैंगर पनडुब्बियां एडवांस सेंसर और हथियारों के अलावा स्टर्लिंग एयर-इंडीपेन्डेंट प्रोपल्शन (एआईपी) से लैस है। इससे यह पनडुब्बी बिना सतह पर आए बिना दो से तीन हफ्ते पानी में रह सकती है। ये पनडुब्बियां पारंपरिक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों की तुलना में बिना सतह पर आए ज्यादा पानी के नीचे रह सकती है। भारत के पास AIP तकनीक की पनडुब्बी नहीं है।
इन पनडुब्बियों का वजन 2,800 टन और लंबाई 76 मीटर है। इसकी स्पीड पानी के अंदर 20 नॉटिकल और ऊपर 12 नॉटिकल है। यह 6 टॉरपीडो ट्यूब, Yu-6 टॉरपीडो और YJ-82 एंटी-शिप मिसाइल दाग सकती हैं। इसके अलावा यह पनडुब्बी बाबर-3 सबमरीन लॉन्च क्रूज मिसाइल (SLCM) से लैस की जा सकती है, जो 450–500 किमी तक वार करने में सक्षम है।
भारत की चिंताविश्लेषकों का कहना है कि हैंगर श्रेणी की पनडुब्बियां खासतौर से उत्तरी अरब सागर में भारत के नौसैनिक प्रभुत्व को चुनौती दे सकती हैं। वॉशिंगटन स्थित हडसन इंस्टीट्यूट की लिसेलोटे ओडगार्ड ने कहा कि इससे पाकिस्तान की एंटी-एक्सेस और क्षेत्र निषेध क्षमता बढ़ती है। ये पाकिस्तान की स्थिति को मजबूत करते हुए भारत की समुद्री रणनीति को जटिल बनाती हैं।
पाकिस्तान वर्तमान में फ्रांस से मिलीं पांच पारंपरिक हमलावर पनडुब्बियों का संचालन करता है। भारत के पास परमाणु ऊर्जा से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां हैं। इनमें INS अरिहंत और INS अरिघाट शामिल हैं। स्टॉकहोम स्थित नीति संस्थान के जगन्नाथ पांडा का कहना है कि इससे उत्तरी अरब सागर में भारतीय पनडुब्बी रोधी अभियानों की लागत बढ़ेगी।
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