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ब्रिटेन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अपनी सीट भारत को दे... ब्रिटिश पीएम के भारत दौरे के बीच सिंगापुर के डिप्लोमेट की बड़ी अपील

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नई दिल्ली/सिंगापुर: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर एक विशालकाय टीम के साथ भारत पहुंचे हैं। उनकी टीम में करीब सवा सौ लोग शामिल हैं। इस बीच सिंगापुर के पूर्व वरिष्ठ राजनयिक और प्रसिद्ध रणनीतिक किशोर महबूबानी ने कहा है कि ब्रिटेन को यूएनएससी की स्थाई सदस्यता भारत के लिए छोड़ देनी चाहिए। महबूबानी ने दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि "अब समय आ गया है कि यूनाइटेड किंगडम (UK) अपनी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की स्थायी सीट भारत को सौंप दे। संयुक्त राष्ट्र के संस्थापकों ने ये सीट आज की महाशक्तियों के लिए बनाई थी, न कि बीते युग की ताकतों के लिए। ब्रिटिश भी इस सच्चाई को समझते हैं।"



किशोर महबूबानी का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब भारत और ब्रिटेन के बीच रणनीतिक साझेदारी और व्यापारिक रिश्ते नए मुकाम पर पहुंच रहे हैं। भारत और ब्रिटेन ने इसी साल फ्री ट्रेड एग्रीमेंट किया है। वहीं किशोर महबूबानी, जो संयुक्त राष्ट्र में सिंगापुर के स्थायी प्रतिनिधि रह चुके हैं, उन्होंने ब्रिटेन की वर्तमान वैश्विक स्थिति की तुलना भारत के बढ़ते प्रभाव से की है। उन्होंने कहा कि भारत आज न सिर्फ दुनिया की टॉप-5 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में शामिल है, बल्कि ग्लोबल साउथ की आवाज के तौर पर भी उभर रहा है।



UNSC में सुधार की मांग करता रहा है भारत

किशोर महबूबानी ने एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि "आने वाले वक्त में भारत वैश्विक राजनीति में तीसरा ध्रुव होगा। भारत को अमेरिका और चीन के बीच एक स्थिति में होना चाहिए। भारत जिस भी पक्ष का समर्थन करेगा, संतुलन उसी दिशा में झुकेगा।" आपको बता दें भारत सालों से यूएनएससी में सुधार की मांग करता रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने कई बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह मुद्दा उठाया है, कि मौजूदा UNSC ढांचा 1945 की शक्ति-संतुलन पर आधारित है, जबकि दुनिया अब पूरी तरह बदल चुकी है।



भारत का तर्क है कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश होने के नाते यूएनएससी की स्थाई सदस्यता उसे मिलनी चाहिए। इसके अलावा भारत, संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में सबसे ज्यादा योगदान देने वाले देशों में भी शामिल है। भारत को अमेरिका, यूके, फ्रांस और रूस का समर्थन तो हासिल है, लेकिन चीन और कुछ यूरोपीय देशों ने अभी तक स्पष्ट रुख नहीं अपनाया है। हाल के वर्षों में "G4 गठबंधन", जिसमें भारत, जापान, जर्मनी और ब्राजील हैं, उन्होंने संयुक्त रूप से UNSC में सुधार की मांग को मजबूत किया है।



दुनिया के संघर्ष को रोकने में नाकाम हो रहा UNSC

आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानि UNSC, दुनिया की सबसे शक्तिशाली अंतरराष्ट्रीय संस्था मानी जाती है, जिसके ऊपर वैश्विक शांति और सुरक्षा बनाए रखने की जिम्मेदारी है। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद इसका गठन ही इस मकसद से किया गया था कि फिर से दुनिया युद्ध में ना फंसे। लेकिन UNSC अब अपने मकसद में बुरी तरह से नाकामयाब साबित हो रहा है।



UNSC में कुल 15 सदस्य होते हैं। पांच स्थायी सदस्य और दस अस्थायी सदस्य। स्थायी सदस्य देशों में अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस हैं, जिन्हें वीटो पावर दिया गया है, यानी ये देश किसी भी प्रस्ताव को रोकने की शक्ति रखते हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों में दुनिया जिस तरह से एक के बाद एक युद्ध में फंसती जा रही है, उसे देखकर UNSC में सुधार की मांग तेजी से की जाने लगी है। भारत कई बार कह चुका है कि अगर इसमें सुधार नहीं किया गया तो ये अपना मकसद खो देगा।

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