इस्लामाबाद: पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर हालिया महीनों में लगातार चर्चा में रहे हैं। एक ओर मुनीर ने खुद को पाकिस्तान की सेना और सत्ता में मजबूत किया है तो वहीं अपनी दक्षिणपंथी इस्लामी विचारधारा को भी बढ़ाया है। मुनीर के नेतृत्व में पाकिस्तानी फौज देश के बजाय इस्लाम के लिए लड़ने वाली सेना में तब्दील हो रही है। पाकिस्तानी सेना ऐसे वक्त में एक मजहबी फौज में बदल रही है, जब मुनीर संवैधानिक बदलाव के जरिए खुद को सत्ता में मजबूत कर रहे हैं। यह पाकिस्तान में जिहादी तत्वों के मजबूत होने का अंदेशा पैदा करता है, जो भारत के लिए खासतौर से चिंता का सबब होना चाहिए।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट कहती है कि पाकिस्तान का रक्षा प्रतिष्ठान फितना अल ख्वारिज और फितना अल हिंदुस्तान जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहा है। फितना और ख्वारिज सातवीं शताब्दी के अरब काल से चले आ रहे हैं। पाकिस्तानी सेना इन शब्दों का प्रयोग करके खुद को इस्लामी व्यवस्था के रक्षक के रूप में पेश कर रही है। यह पाकिस्तान की ओर से मुस्लिम उम्माह के हिमायती के रूप में खुद को प्रस्तुत करने की कोशिश है। इससे उसे सऊदी अरब जैसे देशों से कर्ज लेने में मदद मिलती है।
आसिम मुनीर बने सर्वेसर्वापाकिस्तान में इस समय पीएम शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार है। हालांकि यह नागरिक सरकार फील्ड मार्शल मुनीर के आगे नतमस्तक है। मुनीर एक 'खामोश तख्तापलट' कर रहे हैं। यह काम कार्यपालिका और न्यायपालिका की शक्तियां हड़पकर और खुद की ताकत बढ़ाकर कर रहे हैं। इसके लिए पाकिस्तान की सीनेट ने 27वें संविधान संशोधन पर मतदान किया है।
पाकिस्तानी संविधान में इस बदलाव से तीनों सेनाओं के लिए एक एकीकृत कमान संरचना की स्थापना होगी। इससे मुनीर को संविधान के माध्यम से तीनों सेनाओं का पूर्ण नियंत्रण मिल जाएगा। अनुच्छेद 243 वर्तमान में सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमान राष्ट्रपति के पास रखता है। वहीं अभी तक संचालन नियंत्रण संघीय सरकार के अधीन रहता है।
जिया के रास्ते पर मुनीर
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार भुट्टो का तख्तापलट कर 1977 में सत्ता हासिल करने वाले जिया उल हक ने कट्टरपंथी इस्लामी राज्य की नींव रखी थी। जिया ने ही पाकिस्तानी सेना का इस्लामीकरण शुरू किया था। मुनीर के बारे में कहा जा रहा है कि वह जिया के असली उत्तराधिकारी बन रहे हैं। वह सेना के इस्लामीकरण में जिया से भी आगे बढ़ सकते हैं।
असीम मुनीर सार्वजनिक जीवन में अक्सर धर्म की बात करते देखे जाते हैं। खासतौर से भारत की मौजूदा सत्ता पर वह 'हिंदुत्व की विचारधारा' को लेकर आक्रामक रहे हैं। इस साल पहलगाम के आतंकी हमले से पहले उनका एक भाषण काफी चर्चा में रहा था, जिसमें उन्होंने टू-नेशन की थ्योरी पर बात करते हुए हिन्दू और मुसलमान को अलग-अलग बताया था।
आसिम मुनीर का एजेंडा पाकिस्तानी सेना का इस्लामीकरण दुनिया के लिए चिंता पैदा करते हैं। यह इसलिए ज्यादा चिंताजनक है क्योंकि पाकिस्तान एक परमाणु शक्ति है। असीम मुनीर नागरिक नेतृत्व को कमजोर करते हुए जिस तरह प्रभाव बढ़ा रहे हैं, वह भी फिक्र की वजह है। एक नागरिक नेतृत्व जनता के प्रति जवाबदेह होता है लेकिन सैन्य शासक सैन्य डीप स्टेट को संतुष्ट करने के लिए कुछ भी कर सकता है।
1947 में भारत से अलग होने के बाद से ही पाकिस्तानी सेना का आतंकियों और जिहादी समूहों के साथ सहयोग करने का एक लंबा इतिहास रहा है। 1948, 1965 से कारगिल युद्ध तक कई बार देखा गया है। यह एक तरह से पाकिस्तानी सेना की नीति का हिस्सा रहा है। आसिम मुनीर के नेतृत्व में जिहादी तत्वों को सीधे सेना में शामिल किया जा रहा है। ऐसे में चिंता कई गुना बढ़ जाती है।
भारत की चिंतापाकिस्तान में संविधान संशोधन और पाकिस्तानी रक्षा बलों का इस्लामीकरण दुनिया और खासतौर भारत के लिए झटका है। असीम मुनीर की पाकिस्तानी सेना में कट्टरपंथ बढ़ाने की खुली कोशिश जिहादी तत्वों और पाक फौज के एकीकरण को आसान बनाएगी। इससे भारत के खिलाफ छद्म युद्ध में पाकिस्तानी सेना को आसानी होगी, जो सीधेतौर पर भारत की चुनौती बढ़ाएगा।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट कहती है कि पाकिस्तान का रक्षा प्रतिष्ठान फितना अल ख्वारिज और फितना अल हिंदुस्तान जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहा है। फितना और ख्वारिज सातवीं शताब्दी के अरब काल से चले आ रहे हैं। पाकिस्तानी सेना इन शब्दों का प्रयोग करके खुद को इस्लामी व्यवस्था के रक्षक के रूप में पेश कर रही है। यह पाकिस्तान की ओर से मुस्लिम उम्माह के हिमायती के रूप में खुद को प्रस्तुत करने की कोशिश है। इससे उसे सऊदी अरब जैसे देशों से कर्ज लेने में मदद मिलती है।
आसिम मुनीर बने सर्वेसर्वापाकिस्तान में इस समय पीएम शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार है। हालांकि यह नागरिक सरकार फील्ड मार्शल मुनीर के आगे नतमस्तक है। मुनीर एक 'खामोश तख्तापलट' कर रहे हैं। यह काम कार्यपालिका और न्यायपालिका की शक्तियां हड़पकर और खुद की ताकत बढ़ाकर कर रहे हैं। इसके लिए पाकिस्तान की सीनेट ने 27वें संविधान संशोधन पर मतदान किया है।
पाकिस्तानी संविधान में इस बदलाव से तीनों सेनाओं के लिए एक एकीकृत कमान संरचना की स्थापना होगी। इससे मुनीर को संविधान के माध्यम से तीनों सेनाओं का पूर्ण नियंत्रण मिल जाएगा। अनुच्छेद 243 वर्तमान में सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमान राष्ट्रपति के पास रखता है। वहीं अभी तक संचालन नियंत्रण संघीय सरकार के अधीन रहता है।
जिया के रास्ते पर मुनीर
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार भुट्टो का तख्तापलट कर 1977 में सत्ता हासिल करने वाले जिया उल हक ने कट्टरपंथी इस्लामी राज्य की नींव रखी थी। जिया ने ही पाकिस्तानी सेना का इस्लामीकरण शुरू किया था। मुनीर के बारे में कहा जा रहा है कि वह जिया के असली उत्तराधिकारी बन रहे हैं। वह सेना के इस्लामीकरण में जिया से भी आगे बढ़ सकते हैं।
असीम मुनीर सार्वजनिक जीवन में अक्सर धर्म की बात करते देखे जाते हैं। खासतौर से भारत की मौजूदा सत्ता पर वह 'हिंदुत्व की विचारधारा' को लेकर आक्रामक रहे हैं। इस साल पहलगाम के आतंकी हमले से पहले उनका एक भाषण काफी चर्चा में रहा था, जिसमें उन्होंने टू-नेशन की थ्योरी पर बात करते हुए हिन्दू और मुसलमान को अलग-अलग बताया था।
आसिम मुनीर का एजेंडा पाकिस्तानी सेना का इस्लामीकरण दुनिया के लिए चिंता पैदा करते हैं। यह इसलिए ज्यादा चिंताजनक है क्योंकि पाकिस्तान एक परमाणु शक्ति है। असीम मुनीर नागरिक नेतृत्व को कमजोर करते हुए जिस तरह प्रभाव बढ़ा रहे हैं, वह भी फिक्र की वजह है। एक नागरिक नेतृत्व जनता के प्रति जवाबदेह होता है लेकिन सैन्य शासक सैन्य डीप स्टेट को संतुष्ट करने के लिए कुछ भी कर सकता है।
1947 में भारत से अलग होने के बाद से ही पाकिस्तानी सेना का आतंकियों और जिहादी समूहों के साथ सहयोग करने का एक लंबा इतिहास रहा है। 1948, 1965 से कारगिल युद्ध तक कई बार देखा गया है। यह एक तरह से पाकिस्तानी सेना की नीति का हिस्सा रहा है। आसिम मुनीर के नेतृत्व में जिहादी तत्वों को सीधे सेना में शामिल किया जा रहा है। ऐसे में चिंता कई गुना बढ़ जाती है।
भारत की चिंतापाकिस्तान में संविधान संशोधन और पाकिस्तानी रक्षा बलों का इस्लामीकरण दुनिया और खासतौर भारत के लिए झटका है। असीम मुनीर की पाकिस्तानी सेना में कट्टरपंथ बढ़ाने की खुली कोशिश जिहादी तत्वों और पाक फौज के एकीकरण को आसान बनाएगी। इससे भारत के खिलाफ छद्म युद्ध में पाकिस्तानी सेना को आसानी होगी, जो सीधेतौर पर भारत की चुनौती बढ़ाएगा।
You may also like

आर्यन खान के बर्थडे पर राघव जुयाल ने दिखाया अनदेखा वीडियो, शाहरुख खान के बेटे को 'परवेज' ने कहा- तुम नंबर 1 हो

50 लाख की चोरी के आरोपी की पुलिस कस्टडी में मौत, परिजनों ने काटा बवाल तो 4 पुलिसकर्मी लाइन अटैच, जांच के आदेश

महमूदुल हसन जॉय का शतक, आयरलैंड के खिलाफ बड़ी बढ़त की ओर बांग्लादेश

औलाद पर निर्भरˈ मत रहना, समय रहते अपने बुढ़ापे का इंतज़ाम कर लेना﹒

गुजरात : 'कैंसर से डरें नहीं', जीसीआरआई में 50,000 से अधिक लोगों की हुई स्क्रीनिंग




