नई दिल्ली: दिल्ली में यमुना नदी के प्रदूषण की जांच का दायरा बढ़ाया जा सकता है। आने वाले दिनों में यमुना के पानी की जांच में अमोनिया और फॉस्फेट को भी शामिल किया जाएगा। ये दोनों प्रदूषक मुख्य रूप से डिटर्जेंट और साबुन से पानी में घुलते हैं और झाग बनने की बड़ी वजह है।
टेरी ने तैयार किया खास प्लान
द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (टेरी) ने दिल्ली सरकार की सिफारिश पर यमुना के प्रदूषण को कम करने के लिए एक विस्तृत प्लान तैयार किया है। इस रिपोर्ट में न सिर्फ प्रदूषण के मुख्य स्रोतों की पहचान की गई है बल्कि उनसे जुड़े विभागों को उठाए जाने वाले ठोस कदमों के सुझाव भी दिए गए हैं।
स्टेट मिशन फॉर क्लीन यमुना का सुझाव
टेरी की इस स्टडी में यमुना के पानी में प्रदूषण और झाग की विस्तार से जांच की गई है। इसमें बताया गया है कि झाग की समस्या का कारण पानी में मौजूद सरफेक्टेंट (डिटर्जेंट में पाया जाने वाला केमिकल) है। रिपोर्ट में कहा गया है कि झाग और प्रदूषण को रोकने के लिए यमुना से जुड़े सभी विभागों के बीच बेहतर तालमेल जरूरी है।
पर्यावरण को दिया गया सुझाव
टेरी ने इसके लिए एक सेंट्रलाइज्ड सिस्टम तैयार करने पर जोर दिया गया है, जो स्टेट मिशन फॉर क्लीन यमुना (SMCY) के तहत काम करेगा। रिपोर्ट में पर्यावरण विभाग को सुझाव दिया गया है कि वह 1994 के यमुना वॉटर शेयरिंग एग्रीमेंट पर दोबारा विचार करें और नदी में न्यूनतम पर्यावरणीय प्रवाह (E-flow) बनाए रखने की पहल करें।
धोबी घाटों पर रखें निगरानी
रिपोर्ट में डीपीसीसी (दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति) को पानी की जांच का दायरा बढ़ाने और धोबी घाटों का नियमित जायजा लेने के निर्देश दिए गए है। साथ ही लांड्री प्लांट्स में माइक्रो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने और इको-फ्रेंडली डिटर्जेंट के इस्तेमाल को अनिवार्य बनाने की बात कही गई है।
डीपीसीसी को दी सलाह
डीपीसीसी को ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स के साथ मिलकर काम करने और जियोलाइट व एन्जाइम आधारित डिटर्जेंट को बढ़ावा देने की सलाह दी गई है। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा है कि इस स्टडी में कई उपयोगी सुझाव मिले हैं, जिनसे यमुना को साफ किया जा सकेगा।
जांच का दायरा बढ़ाने की जरूरत क्यों ?
यमुना का प्रदूषण दिल्ली की राजनीति का केंद्रीय मुद्दा रहा है। सरकार किसी की भी हो, इसको लेकर सवाल उठते रहे हैं। खासकर पिछले कुछ सालों से सर्दियो में और उसमें भी छठ पूजा के आस पास यमुना नदी मे दिखने वाले झाग को लेकर जमकर राजनीति होती रही है। ऐसे में सरकार अब झाग की समस्या के निदान पर खास फोकस कर रही है। अभी यमुना के के झाग पर नजर रखने और नियंत्रित करने का कोई ठोस मैकेनिज्म नहीं है।
टेरी ने तैयार किया खास प्लान
द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (टेरी) ने दिल्ली सरकार की सिफारिश पर यमुना के प्रदूषण को कम करने के लिए एक विस्तृत प्लान तैयार किया है। इस रिपोर्ट में न सिर्फ प्रदूषण के मुख्य स्रोतों की पहचान की गई है बल्कि उनसे जुड़े विभागों को उठाए जाने वाले ठोस कदमों के सुझाव भी दिए गए हैं।
स्टेट मिशन फॉर क्लीन यमुना का सुझाव
टेरी की इस स्टडी में यमुना के पानी में प्रदूषण और झाग की विस्तार से जांच की गई है। इसमें बताया गया है कि झाग की समस्या का कारण पानी में मौजूद सरफेक्टेंट (डिटर्जेंट में पाया जाने वाला केमिकल) है। रिपोर्ट में कहा गया है कि झाग और प्रदूषण को रोकने के लिए यमुना से जुड़े सभी विभागों के बीच बेहतर तालमेल जरूरी है।
पर्यावरण को दिया गया सुझाव
टेरी ने इसके लिए एक सेंट्रलाइज्ड सिस्टम तैयार करने पर जोर दिया गया है, जो स्टेट मिशन फॉर क्लीन यमुना (SMCY) के तहत काम करेगा। रिपोर्ट में पर्यावरण विभाग को सुझाव दिया गया है कि वह 1994 के यमुना वॉटर शेयरिंग एग्रीमेंट पर दोबारा विचार करें और नदी में न्यूनतम पर्यावरणीय प्रवाह (E-flow) बनाए रखने की पहल करें।
धोबी घाटों पर रखें निगरानी
रिपोर्ट में डीपीसीसी (दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति) को पानी की जांच का दायरा बढ़ाने और धोबी घाटों का नियमित जायजा लेने के निर्देश दिए गए है। साथ ही लांड्री प्लांट्स में माइक्रो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने और इको-फ्रेंडली डिटर्जेंट के इस्तेमाल को अनिवार्य बनाने की बात कही गई है।
डीपीसीसी को दी सलाह
डीपीसीसी को ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स के साथ मिलकर काम करने और जियोलाइट व एन्जाइम आधारित डिटर्जेंट को बढ़ावा देने की सलाह दी गई है। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा है कि इस स्टडी में कई उपयोगी सुझाव मिले हैं, जिनसे यमुना को साफ किया जा सकेगा।
जांच का दायरा बढ़ाने की जरूरत क्यों ?
यमुना का प्रदूषण दिल्ली की राजनीति का केंद्रीय मुद्दा रहा है। सरकार किसी की भी हो, इसको लेकर सवाल उठते रहे हैं। खासकर पिछले कुछ सालों से सर्दियो में और उसमें भी छठ पूजा के आस पास यमुना नदी मे दिखने वाले झाग को लेकर जमकर राजनीति होती रही है। ऐसे में सरकार अब झाग की समस्या के निदान पर खास फोकस कर रही है। अभी यमुना के के झाग पर नजर रखने और नियंत्रित करने का कोई ठोस मैकेनिज्म नहीं है।
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