नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( इसरो ) के अध्यक्ष वी नारायणन ने शुक्रवार को देशवासियों को एक और बड़ी खुशखबरी दी। उन्होंने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि भारत चंद्रमा पर एक भारतीय को भेजने और 2040 तक उनकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रहा है। सीएनबीसी-टीवी18 के ग्लोबल लीडरशिप समिट (जीएलएस) 2025 के दूसरे संस्करण में उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि साल 2040 तक, हमारा लक्ष्य एक भारतीय को चंद्रमा पर भेजना और उसे सुरक्षित वापस लाना है।
भारत का जल्द ही अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा
इसके अलावा इसरो चीफ ने एक महत्वपूर्ण बात बताई जिसमें उन्होंने कहा कि भारत का जल्द ही अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा। नारायणन ने कहा कि अपना अंतरिक्ष स्टेशन होना समय की मांग है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने पहले मॉडल को मंजूरी दे दी है। इससे पहले अगस्त में, नारायणन ने कहा था कि भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) का पहला मॉड्यूल 2028 में लॉन्च किया जाएगा। 10 टन वजनी यह स्टेशन का उद्घाटन घटक होगा, तथा पूर्ण बीएएस का वजन 52 टन तक पहुंचने का अनुमान है।
विश्व के अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की 2 से 3 प्रतिशत तक की हिस्सेदारी
जीएलएस में बोलते हुए, नारायणन ने वैश्विक अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की महत्वाकांक्षाओं को रेखांकित किया। मैकिन्से की एक रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 2023 में 630 अरब डॉलर से बढ़कर 2035 तक 1.8 ट्रिलियन डॉलर हो जाने की उम्मीद है, जबकि भारत की वर्तमान में इसमें 2-3% हिस्सेदारी है। उन्होंने कहा कि वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में हमारी हिस्सेदारी केवल 2% है, और इस संख्या को बढ़ाना होगा। हम 8% का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रख रहे हैं। हम इस दिशा में काम कर रहे हैं।
हाल में इसरो ने बाहुबली रॉकेट का उपयोग कर सैटेलाइट किया लॉन्च
बता दें कि इसरो ने हाल ही में भारतीय धरती से प्रक्षेपित अपने सबसे भारी संचार उपग्रह को नई पीढ़ी के स्वदेशी बाहुबली रॉकेट का उपयोग करके इच्छित कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया। LVM3-M5 पर ले जाया गया 4,410 किलोग्राम का CMS-03 उपग्रह एक बहु-बैंड संचार उपग्रह है जो भारतीय भूभाग के साथ-साथ एक विस्तृत समुद्री क्षेत्र में भी अपनी सेवाएं प्रदान करेगा।
उपग्रह को वांछित भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में स्थापित कर दिया गया। यह 2013 में प्रक्षेपित जीसैट 7 श्रृंखला का भी प्रतिस्थापन है। नारायणन ने पहले कहा था कि इसरो ने मार्च 2026 के अंत तक गंगायान कार्यक्रम के तहत अपने महत्वाकांक्षी पहले मानवरहित मिशन सहित सात मिशनों को प्रक्षेपित करने का लक्ष्य रखा है।
भारत का जल्द ही अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा
इसके अलावा इसरो चीफ ने एक महत्वपूर्ण बात बताई जिसमें उन्होंने कहा कि भारत का जल्द ही अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा। नारायणन ने कहा कि अपना अंतरिक्ष स्टेशन होना समय की मांग है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने पहले मॉडल को मंजूरी दे दी है। इससे पहले अगस्त में, नारायणन ने कहा था कि भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) का पहला मॉड्यूल 2028 में लॉन्च किया जाएगा। 10 टन वजनी यह स्टेशन का उद्घाटन घटक होगा, तथा पूर्ण बीएएस का वजन 52 टन तक पहुंचने का अनुमान है।
विश्व के अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की 2 से 3 प्रतिशत तक की हिस्सेदारी
जीएलएस में बोलते हुए, नारायणन ने वैश्विक अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की महत्वाकांक्षाओं को रेखांकित किया। मैकिन्से की एक रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 2023 में 630 अरब डॉलर से बढ़कर 2035 तक 1.8 ट्रिलियन डॉलर हो जाने की उम्मीद है, जबकि भारत की वर्तमान में इसमें 2-3% हिस्सेदारी है। उन्होंने कहा कि वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में हमारी हिस्सेदारी केवल 2% है, और इस संख्या को बढ़ाना होगा। हम 8% का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रख रहे हैं। हम इस दिशा में काम कर रहे हैं।
हाल में इसरो ने बाहुबली रॉकेट का उपयोग कर सैटेलाइट किया लॉन्च
बता दें कि इसरो ने हाल ही में भारतीय धरती से प्रक्षेपित अपने सबसे भारी संचार उपग्रह को नई पीढ़ी के स्वदेशी बाहुबली रॉकेट का उपयोग करके इच्छित कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया। LVM3-M5 पर ले जाया गया 4,410 किलोग्राम का CMS-03 उपग्रह एक बहु-बैंड संचार उपग्रह है जो भारतीय भूभाग के साथ-साथ एक विस्तृत समुद्री क्षेत्र में भी अपनी सेवाएं प्रदान करेगा।
उपग्रह को वांछित भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में स्थापित कर दिया गया। यह 2013 में प्रक्षेपित जीसैट 7 श्रृंखला का भी प्रतिस्थापन है। नारायणन ने पहले कहा था कि इसरो ने मार्च 2026 के अंत तक गंगायान कार्यक्रम के तहत अपने महत्वाकांक्षी पहले मानवरहित मिशन सहित सात मिशनों को प्रक्षेपित करने का लक्ष्य रखा है।
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