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बिहार का 'मिनी चित्तौड़गढ़': बाढ़ सीट पर बीजेपी ने बदली रणनीति, सिर्फ एक बार टूटा 'राजपूत गढ़' का समीकरण

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पटनाः पटना जिले की बाढ़ विधानसभा सीट अपने प्रबल राजपूत प्रभुत्व के लिए जानी जाती है, जिसे अक्सर पटना का 'मिनी चित्तौड़गढ़' कहा जाता है। चुनावी इतिहास में, अधिकांश बार विभिन्न दलों से राजपूत उम्मीदवार ही विजयी रहे हैं, केवल 1980 में कुर्मी समुदाय के विश्व मोहन चौधरी ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज करके इस परंपरा को एक बार तोड़ा था।

इस बार के चुनाव में, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने अपने लगातार चार बार के विजेता ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू की जगह डॉ. सियाराम सिंह को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का उम्मीदवार बनाया है। इनके सामने महागठबंधन की ओर से राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के कर्मवीर सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर पहले चरण के तहत 6 नवंबर को मतदान होगा और नतीजे 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे।

एनडीए का लंबा दबदबा और प्रमुख विजेता
बाढ़ सीट पर पिछले कुछ समय से एनडीए का प्रभुत्व रहा है। बाहुबली नेता आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद ने 2005 में जीत हासिल की थी। इसके बाद से, ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने 2005 से 2020 तक लगातार चार बार (जेडीयू और बीजेपी के टिकट पर दो-दो बार) जीत दर्ज करके अपनी मजबूत पकड़ बनाई।


इतिहास में, राणा शिव लाखपति सिंह चार बार (1952, 1962, 1969, 1977) जीतकर पहले ऐसे नेता बने, जबकि ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने भी चार बार जीतकर यह रिकॉर्ड दोहराया। इसके अलावा, विजय कृष्ण (1995, 2000), लवली आनंद (2005 में दो चुनाव), और भुवनेश्वर सिंह (1985, 2000) ने भी दो-दो बार जीत दर्ज की। कांग्रेस पार्टी ने कुल पाँच बार (1952, 1957, 1962, 1969 और 1985) इस सीट पर जीत हासिल की है।


बाढ़ विधानसभा चुनाव परिणाम 2010


बाढ़ विधानसभा चुनाव परिणाम 2015


बाढ़ विधानसभा चुनाव परिणाम 2020


वर्ष 1952 से लेकर 2020 के चुनाव में बाढ़ सीट से विजयी उम्मीदवार


बाहरी बनाम स्थानीय उम्मीदवार
दिलचस्प चुनावी पैटर्न यह है कि बाढ़ विधानसभा क्षेत्र में बाहरी उम्मीदवारों को अक्सर स्थानीय उम्मीदवारों की तुलना में अधिक सफलता मिली है, जहाँ राणा शिव लाखपति सिंह एकमात्र प्रमुख स्थानीय नेता रहे हैं जिन्हें कई बार जीत मिली।

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