आगरा: उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में मूर्ति विसर्जन के दौरान एक दर्दनाक हादसा सामने आया है। खेरागढ़ के पास उटंगन नदी में मूर्ति विसर्जन करने गए आठ युवक तेज बहाव में बह गए। घटना के बाद पुलिस और गोताखोरों ने तत्काल रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। अब तक चार युवकों को नदी से बाहर निकाला जा चुका है, जबकि एक युवक की मौत की पुष्टि हो चुकी है। शेष तीन युवकों की तलाश में सर्च ऑपरेशन जारी है।
क्या है पूरा मामलायह हादसा गुरुवार को दोपहर करीब 2 बजे खेरागढ़ के ड्रूंगरपुर गांव के पास उटंगन नदी में हुआ। स्थानीय पुलिस ने मूर्ति विसर्जन के लिए नदी किनारे एक विशेष प्वाइंट बनाया था, जहां सुबह से ही लोग मूर्तियां विसर्जित करने आ रहे थे। स्थानीय लोगों के अनुसार, आठ युवक दो मूर्तियों के साथ विसर्जन के लिए पहुंचे थे। उन्होंने एक मूर्ति का विसर्जन पुलिस द्वारा निर्धारित प्वाइंट पर कर दिया था। लेकिन दूसरी मूर्ति के विसर्जन के लिए वे लगभग 300 मीटर दूर नदी के एक अलग किनारे पर चले गए।
तेज बहाव में बहे प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आठों युवक एक-दूसरे का हाथ पकड़कर मूर्ति को नदी में ले गए। वे नदी में काफी आगे तक चले गए, जहां पानी गहरा और बहाव तेज था। अचानक तेज बहाव के कारण सभी युवक एक साथ बह गए। युवकों को डूबता देख आसपास के लोगों में हड़कंप मच गया। स्थानीय लोगों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद गोताखोरों की टीम मौके पर पहुंची।
स्थानीय लोगों ने बताया कि ओमपाल (25 वर्ष), हरेश (20 वर्ष), गगन (24 वर्ष), अभिषेक (16 वर्ष), भगवती (22 वर्ष), ओके (16 वर्ष), सचिन (16 वर्ष) और सचिन पुत्र अंतरा (17 वर्ष) कुल आठ लोग नदी के तेज बहाव में बह गए थे। जबकि राजेंद्र पुत्र रेवती और विष्णु बाहर निकल आए थे।
रेस्क्यू ऑपरेशन और मौजूदा स्थितिपुलिस और गोताखोरों ने तत्काल रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। अब तक चार युवकों को नदी से सुरक्षित निकाल लिया गया है, जिन्हें इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हालांकि, एक युवक की मौत की पुष्टि हो चुकी है। शेष तीन युवकों की तलाश के लिए सर्च ऑपरेशन तेजी से चल रहा है। पुलिस ने अतिरिक्त गोताखोरों और एनडीआरएफ की टीम को भी बुलाया है ताकि लापता युवकों को जल्द से जल्द खोजा जा सके।
स्थानीय लोगों में दहशतइस हादसे ने स्थानीय लोगों में दहशत पैदा कर दी है। कई लोगों ने पुलिस प्रशासन पर सवाल उठाए हैं कि मूर्ति विसर्जन के लिए बनाए गए प्वाइंट पर पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था क्यों नहीं थी। एक स्थानीय निवासी ने कहा, पुलिस ने केवल एक प्वाइंट बनाया था, लेकिन बाकी किनारों पर कोई निगरानी नहीं थी। अगर वहां पुलिसकर्मी तैनात होते, तो शायद यह हादसा टल सकता था।
पुलिस का बयानखेरागढ़ थाने के प्रभारी ने बताया कि घटना की सूचना मिलते ही त्वरित कार्रवाई शुरू की गई। "हमने गोताखोरों और एनडीआरएफ की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया है। चार लोगों को बचा लिया गया है, और बाकियों की तलाश जारी है। हम इस मामले की पूरी जांच करेंगे कि यह हादसा कैसे हुआ।" पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे नदी में अनधिकृत स्थानों पर मूर्ति विसर्जन न करें और प्रशासन द्वारा निर्धारित स्थानों का ही उपयोग करें।
शोक और आक्रोशहादसे की खबर फैलते ही मृतक के परिजनों और गांव वालों में शोक की लहर दौड़ गई। अस्पताल के बाहर भारी भीड़ जमा हो गई है, जहां लोग घायलों और लापता युवकों की स्थिति जानने के लिए पहुंच रहे हैं। इस घटना ने एक बार फिर नदी किनारे मूर्ति विसर्जन की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े किए हैं।
क्या है पूरा मामलायह हादसा गुरुवार को दोपहर करीब 2 बजे खेरागढ़ के ड्रूंगरपुर गांव के पास उटंगन नदी में हुआ। स्थानीय पुलिस ने मूर्ति विसर्जन के लिए नदी किनारे एक विशेष प्वाइंट बनाया था, जहां सुबह से ही लोग मूर्तियां विसर्जित करने आ रहे थे। स्थानीय लोगों के अनुसार, आठ युवक दो मूर्तियों के साथ विसर्जन के लिए पहुंचे थे। उन्होंने एक मूर्ति का विसर्जन पुलिस द्वारा निर्धारित प्वाइंट पर कर दिया था। लेकिन दूसरी मूर्ति के विसर्जन के लिए वे लगभग 300 मीटर दूर नदी के एक अलग किनारे पर चले गए।
तेज बहाव में बहे प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आठों युवक एक-दूसरे का हाथ पकड़कर मूर्ति को नदी में ले गए। वे नदी में काफी आगे तक चले गए, जहां पानी गहरा और बहाव तेज था। अचानक तेज बहाव के कारण सभी युवक एक साथ बह गए। युवकों को डूबता देख आसपास के लोगों में हड़कंप मच गया। स्थानीय लोगों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद गोताखोरों की टीम मौके पर पहुंची।
स्थानीय लोगों ने बताया कि ओमपाल (25 वर्ष), हरेश (20 वर्ष), गगन (24 वर्ष), अभिषेक (16 वर्ष), भगवती (22 वर्ष), ओके (16 वर्ष), सचिन (16 वर्ष) और सचिन पुत्र अंतरा (17 वर्ष) कुल आठ लोग नदी के तेज बहाव में बह गए थे। जबकि राजेंद्र पुत्र रेवती और विष्णु बाहर निकल आए थे।
रेस्क्यू ऑपरेशन और मौजूदा स्थितिपुलिस और गोताखोरों ने तत्काल रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। अब तक चार युवकों को नदी से सुरक्षित निकाल लिया गया है, जिन्हें इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हालांकि, एक युवक की मौत की पुष्टि हो चुकी है। शेष तीन युवकों की तलाश के लिए सर्च ऑपरेशन तेजी से चल रहा है। पुलिस ने अतिरिक्त गोताखोरों और एनडीआरएफ की टीम को भी बुलाया है ताकि लापता युवकों को जल्द से जल्द खोजा जा सके।
स्थानीय लोगों में दहशतइस हादसे ने स्थानीय लोगों में दहशत पैदा कर दी है। कई लोगों ने पुलिस प्रशासन पर सवाल उठाए हैं कि मूर्ति विसर्जन के लिए बनाए गए प्वाइंट पर पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था क्यों नहीं थी। एक स्थानीय निवासी ने कहा, पुलिस ने केवल एक प्वाइंट बनाया था, लेकिन बाकी किनारों पर कोई निगरानी नहीं थी। अगर वहां पुलिसकर्मी तैनात होते, तो शायद यह हादसा टल सकता था।
पुलिस का बयानखेरागढ़ थाने के प्रभारी ने बताया कि घटना की सूचना मिलते ही त्वरित कार्रवाई शुरू की गई। "हमने गोताखोरों और एनडीआरएफ की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया है। चार लोगों को बचा लिया गया है, और बाकियों की तलाश जारी है। हम इस मामले की पूरी जांच करेंगे कि यह हादसा कैसे हुआ।" पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे नदी में अनधिकृत स्थानों पर मूर्ति विसर्जन न करें और प्रशासन द्वारा निर्धारित स्थानों का ही उपयोग करें।
शोक और आक्रोशहादसे की खबर फैलते ही मृतक के परिजनों और गांव वालों में शोक की लहर दौड़ गई। अस्पताल के बाहर भारी भीड़ जमा हो गई है, जहां लोग घायलों और लापता युवकों की स्थिति जानने के लिए पहुंच रहे हैं। इस घटना ने एक बार फिर नदी किनारे मूर्ति विसर्जन की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े किए हैं।
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