गौरव राठौर, कानपुर देहात: राजनीतिक रसूख और वर्चस्व की लड़ाई जिला विकास समन्वय और निगरानी समिति की बैठक (दिशा बैठक) में खुलकर सामने आ गई। कमतर आंकने की कोशिश में दिशा का एजेंडा तार-तार होकर बिखर गया। प्रदेश सरकार की मंत्री प्रतिभा शुक्ला के प्रतिनिधि के रूप में पहुंचे उनके पति पूर्व सांसद अनिल शुक्ल वारसी करीब डेढ़ घंटे तक तीखे आरोपों के शब्द बाण चलाते रहे। इससे कई बार माहौल बिगड़ते बचा।
वारसी ने अपशब्द बोलकर सदन की मर्यादा भंग कर दी तो सांसद देवेंद्र सिंह भोले को भी गुस्सा आ गया। दोनों एक-दूसरे से दो-दो हाथ करने के लिए उठकर खड़े हो गए। दो दिग्गज चेहरों की लड़ाई देखकर मौजूद डीएम और एसपी भी सख्ते में थे। हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं थी। ऐसे में दिशा की बैठक को स्थगित करना अंतिम विकल्प था। कुल मिलाकर विकास के एजेंडे की ये बैठक भोले और वारसी की जंग में फ्लाप हो गई। नेताओं के झगड़े में दिशा की बैठक में कोई सार्थक बात नहीं हो पाई।
भोले से बोले- वारसी मैं तुम्हें सांसद ही नहीं मानता
दरअसल, मंगलवार को माती के कलेक्ट्रेट सभागार में दिशा की बैठक चल रही थी, तभी पूर्व सांसद अनिल शुक्ला वारसी दाखिल हुए। जैसे ही उन पर नजर पड़ी तो सदन के अध्यक्ष सांसद देवेंद्र सिंह भोले ने उन्हें छोटे भाई कहकर संबोधित करते हुए स्वागत किया। उनके लिए पास में कुर्सी डलवाई। करीब 15 मिनट तक वारसी शांत बैठे रहे। फिर दिशा की गाइडलाइन की बात उठाई। सांसद भोले ने उन्हें गाइड लाइन के बाबत बताना शुरू किया तो वारसी भड़क गए। उन्होंने कहा कि मैं भी सांसद रहा हूं। सांसद ने कहा कि गाइड लाइन बदलती रहती हैं। इस पर वारसी बोले कि मैं तुम्हें सांसद ही नहीं मानता हूं। इस पर सदन के लोग दंग रह गए।
इसके बाद वारसी ने सदन के सदस्य पूर्व जिलाध्यक्ष राजेश तिवारी और अन्य लोगों पर कई व्यक्तिगत टिप्पणी की। इसी बीच बैठक में चाय पानी हुआ। मामला शांत रहा। दोबारा शुरुआत हुई तो रनियां की आरती डिस्लरी के गंदा पानी के बहाने और नाली चकरोड की जमीन बाउंड्रीवाल के अंदर होने पर चर्चा शुरू हुई। इस पर पूर्व सांसद आपे से बाहर हो गए। उन्होंने बेहिसाब अर्मादित शब्दों की बौछार शुरू कर दी। सदन के अन्य लोगों ने इसका विरोध शुरू किया। बाद में वारसी सदन छोड़कर चले गए। हंगामा और बवाल के चलते बैठक स्थगित कर दी गई।
वारसी को मानसिक इलाज की जरूरत : भोले
सांसद देवेंद्र सिंह भोले ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वारसी मेरे भाई हैं, लेकिन उन्हें मानसिक इलाज की जरूरत है। सरकार में रहते हुए वो धरना देते हैं। कभी थाने में धरने पर बैठ जाते हैं, तो कभी फैक्टरी के बाहर। वो कहते हैं कि हम भोले को सांसद नहीं मानते हैं। भारत सरकार की कमेटी पर भी ऐतराज है। वारसी जातिगत टिप्पणी करते हैं। चुनाव आते ही वो परशुराम महासभा चलाते हैं। शासन के खिलाफ धरना दे रहे हैं। मंत्री कहती हैं कि उनके पास कोई फाइल नहीं आती है।
वारसी की कपंनी पर प्रदूषण फैलाने को लेकर एनजीटी ने 96 करोड़ का जुर्माना लगाया था। इसमें मेरा क्या दोष है। भोले ने कहा कि वो माहौल में जहर घोलने का काम कर रहे हैं। बैठक में वो केवल बेईमान अधिकारियों और व्यापारियों का पक्ष लेने आए थे। आरती डिस्लरी का जिक्र आया तो वो भड़क गए। किसी फैक्टरी वाले को किसान की नाली और चकरोड को फैक्टरी के अंदर का अधिकार नहीं है। अब केंद्र और राज्य सरकार से अधिकारी नामिति कराने के बाद बैठक कराई जाएगी।
सदन में टॉरगेट करते फिर होती है वसूली : वारसी
बैठक में विवाद और हंगामा के बाद सदन छोड़कर निकले वारसी ने जाते-जाते कई गंभीर आरोप लगा गए। उन्होंने कहा कि सांसद देवेंद्र सिंह भोले जबरदस्ती दिशा का मेंबर बनाकर चार-पांच गुंडों को बैठा लेते हैं। इसके बाद बैठक में फैक्टरी वालों को टारगेट करते हैं। अफसरों को बेइज्जत करते हैं। गुंडे बाद में जाकर वसूली करते हैं। हालांकि, वारसी ने सदन में कौन गुंडे हैं, उनका नाम तो नहीं लिया। उनका इशारा किसकी तरफ था, ये वहां मौजूद सभी लोग समझ गए।
सर सर सर...करते रहे डीएम और एसपी
सदन में एक-दूसरे पर गंभीर आरोपों की झड़ी लगाने के बाद भोले और वारसी खड़े होकर हाथपाई के लिए तैयार हो गए। ये देखकर डीएम कपिल सिंह, एसपी श्रद्धा नरेंद्र पांडेय सर सर सर करके मामले को शांत करने की कोशिश करते रहे। एसपी ने हाथ लगाते हुए सांसद से बैठ जाने का भी अनुरोध किया। चूंकि, मामला कद्दावर नेताओं के बीच का था। इससे पुलिस और अफसर भी कोई निर्णय लेने की स्थिति में नहीं थे। सब मूकदर्शक बने देखते रहे। इन हालातों में भाजपा के अंदर की गुटबाजी भी एक बार फिर खुलकर सामने आ गई।
बाद में चुटकी लेते रहे अफसर
इस तू-तू मैं मैं के बाद बैठक में मौजूद अफसर मजे लेते रहे। कई अफसर ठहाका लगाकर हंसते नजर आए। कुछ ने नेताओं की आपसी लड़ाई में खुद के भ्रष्टाचार पर चर्चा न होने की खुशी मनाई। बात मुद्दे की न हो सकी इससे कई विभाग के अधिकारियों ने राहत की सांस ली। बैठक के दौरान एमएलसी अरुण पाठक, रसूलाबाद विधायक पूनम संखवार, जिला पंचायत अध्यक्ष नीरज रानी मामले को शांत कराने की कोशिश में लगे रहे।
डबल इंजन की सरकार में टकरा गए डिब्बे
सपा के जिलाध्यक्ष अरुण यादव उर्फ बबलू राजा ने कहा कि डबल इंजन की सरकार में डिब्बे टकरा रहे हैं। सदन में खुलेआम ये लड़ाई केवल भ्रष्टाचार के बंदरबांट, वसूली और वर्चस्व की जंग है। दरअसल, बैठक में सपा जिलाध्यक्ष अरुण यादव बबलू राजा भी सांसद जितेंद्र दोहरे के प्रतिनिधि के रुप में पहुंचे थे, जबकि कन्नौज सांसद अखिलेश यादव के प्रतिनिधि के रूप में पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवकुमार बेरिया मौजूद रहे। सपाइयों ने इस लड़ाई पर चुटकी लेते हुए कहा कि डबल इंजन और डिब्बे आपस में ही टकराने लगे हैं।
वारसी ने अपशब्द बोलकर सदन की मर्यादा भंग कर दी तो सांसद देवेंद्र सिंह भोले को भी गुस्सा आ गया। दोनों एक-दूसरे से दो-दो हाथ करने के लिए उठकर खड़े हो गए। दो दिग्गज चेहरों की लड़ाई देखकर मौजूद डीएम और एसपी भी सख्ते में थे। हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं थी। ऐसे में दिशा की बैठक को स्थगित करना अंतिम विकल्प था। कुल मिलाकर विकास के एजेंडे की ये बैठक भोले और वारसी की जंग में फ्लाप हो गई। नेताओं के झगड़े में दिशा की बैठक में कोई सार्थक बात नहीं हो पाई।
भोले से बोले- वारसी मैं तुम्हें सांसद ही नहीं मानता
दरअसल, मंगलवार को माती के कलेक्ट्रेट सभागार में दिशा की बैठक चल रही थी, तभी पूर्व सांसद अनिल शुक्ला वारसी दाखिल हुए। जैसे ही उन पर नजर पड़ी तो सदन के अध्यक्ष सांसद देवेंद्र सिंह भोले ने उन्हें छोटे भाई कहकर संबोधित करते हुए स्वागत किया। उनके लिए पास में कुर्सी डलवाई। करीब 15 मिनट तक वारसी शांत बैठे रहे। फिर दिशा की गाइडलाइन की बात उठाई। सांसद भोले ने उन्हें गाइड लाइन के बाबत बताना शुरू किया तो वारसी भड़क गए। उन्होंने कहा कि मैं भी सांसद रहा हूं। सांसद ने कहा कि गाइड लाइन बदलती रहती हैं। इस पर वारसी बोले कि मैं तुम्हें सांसद ही नहीं मानता हूं। इस पर सदन के लोग दंग रह गए।
इसके बाद वारसी ने सदन के सदस्य पूर्व जिलाध्यक्ष राजेश तिवारी और अन्य लोगों पर कई व्यक्तिगत टिप्पणी की। इसी बीच बैठक में चाय पानी हुआ। मामला शांत रहा। दोबारा शुरुआत हुई तो रनियां की आरती डिस्लरी के गंदा पानी के बहाने और नाली चकरोड की जमीन बाउंड्रीवाल के अंदर होने पर चर्चा शुरू हुई। इस पर पूर्व सांसद आपे से बाहर हो गए। उन्होंने बेहिसाब अर्मादित शब्दों की बौछार शुरू कर दी। सदन के अन्य लोगों ने इसका विरोध शुरू किया। बाद में वारसी सदन छोड़कर चले गए। हंगामा और बवाल के चलते बैठक स्थगित कर दी गई।
वारसी को मानसिक इलाज की जरूरत : भोले
सांसद देवेंद्र सिंह भोले ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वारसी मेरे भाई हैं, लेकिन उन्हें मानसिक इलाज की जरूरत है। सरकार में रहते हुए वो धरना देते हैं। कभी थाने में धरने पर बैठ जाते हैं, तो कभी फैक्टरी के बाहर। वो कहते हैं कि हम भोले को सांसद नहीं मानते हैं। भारत सरकार की कमेटी पर भी ऐतराज है। वारसी जातिगत टिप्पणी करते हैं। चुनाव आते ही वो परशुराम महासभा चलाते हैं। शासन के खिलाफ धरना दे रहे हैं। मंत्री कहती हैं कि उनके पास कोई फाइल नहीं आती है।
वारसी की कपंनी पर प्रदूषण फैलाने को लेकर एनजीटी ने 96 करोड़ का जुर्माना लगाया था। इसमें मेरा क्या दोष है। भोले ने कहा कि वो माहौल में जहर घोलने का काम कर रहे हैं। बैठक में वो केवल बेईमान अधिकारियों और व्यापारियों का पक्ष लेने आए थे। आरती डिस्लरी का जिक्र आया तो वो भड़क गए। किसी फैक्टरी वाले को किसान की नाली और चकरोड को फैक्टरी के अंदर का अधिकार नहीं है। अब केंद्र और राज्य सरकार से अधिकारी नामिति कराने के बाद बैठक कराई जाएगी।
कानपुर देहात में दिशा बैठक में सांसद भोले और मंत्री प्रतिभा शुक्ला के पति अनिल भिड़े @NavbharatTimes pic.twitter.com/4PmhBNJswF
— NBT Uttar Pradesh (@UPNBT) November 4, 2025
सदन में टॉरगेट करते फिर होती है वसूली : वारसी
बैठक में विवाद और हंगामा के बाद सदन छोड़कर निकले वारसी ने जाते-जाते कई गंभीर आरोप लगा गए। उन्होंने कहा कि सांसद देवेंद्र सिंह भोले जबरदस्ती दिशा का मेंबर बनाकर चार-पांच गुंडों को बैठा लेते हैं। इसके बाद बैठक में फैक्टरी वालों को टारगेट करते हैं। अफसरों को बेइज्जत करते हैं। गुंडे बाद में जाकर वसूली करते हैं। हालांकि, वारसी ने सदन में कौन गुंडे हैं, उनका नाम तो नहीं लिया। उनका इशारा किसकी तरफ था, ये वहां मौजूद सभी लोग समझ गए।
सर सर सर...करते रहे डीएम और एसपी
सदन में एक-दूसरे पर गंभीर आरोपों की झड़ी लगाने के बाद भोले और वारसी खड़े होकर हाथपाई के लिए तैयार हो गए। ये देखकर डीएम कपिल सिंह, एसपी श्रद्धा नरेंद्र पांडेय सर सर सर करके मामले को शांत करने की कोशिश करते रहे। एसपी ने हाथ लगाते हुए सांसद से बैठ जाने का भी अनुरोध किया। चूंकि, मामला कद्दावर नेताओं के बीच का था। इससे पुलिस और अफसर भी कोई निर्णय लेने की स्थिति में नहीं थे। सब मूकदर्शक बने देखते रहे। इन हालातों में भाजपा के अंदर की गुटबाजी भी एक बार फिर खुलकर सामने आ गई।
बाद में चुटकी लेते रहे अफसर
इस तू-तू मैं मैं के बाद बैठक में मौजूद अफसर मजे लेते रहे। कई अफसर ठहाका लगाकर हंसते नजर आए। कुछ ने नेताओं की आपसी लड़ाई में खुद के भ्रष्टाचार पर चर्चा न होने की खुशी मनाई। बात मुद्दे की न हो सकी इससे कई विभाग के अधिकारियों ने राहत की सांस ली। बैठक के दौरान एमएलसी अरुण पाठक, रसूलाबाद विधायक पूनम संखवार, जिला पंचायत अध्यक्ष नीरज रानी मामले को शांत कराने की कोशिश में लगे रहे।
डबल इंजन की सरकार में टकरा गए डिब्बे
सपा के जिलाध्यक्ष अरुण यादव उर्फ बबलू राजा ने कहा कि डबल इंजन की सरकार में डिब्बे टकरा रहे हैं। सदन में खुलेआम ये लड़ाई केवल भ्रष्टाचार के बंदरबांट, वसूली और वर्चस्व की जंग है। दरअसल, बैठक में सपा जिलाध्यक्ष अरुण यादव बबलू राजा भी सांसद जितेंद्र दोहरे के प्रतिनिधि के रुप में पहुंचे थे, जबकि कन्नौज सांसद अखिलेश यादव के प्रतिनिधि के रूप में पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवकुमार बेरिया मौजूद रहे। सपाइयों ने इस लड़ाई पर चुटकी लेते हुए कहा कि डबल इंजन और डिब्बे आपस में ही टकराने लगे हैं।
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