नई दिल्ली: भारत अगले दशक में दुनिया की तेल की मांग में सबसे आगे रहने वाला है। यह बात इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) ने अपनी नई ग्लोबल एनर्जी आउटलुक 2025 रिपोर्ट में कही है। आईईए मुताबिक भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, औद्योगिकीकरण और गाड़ियों की बढ़ती संख्या ऊर्जा की खपत को बढ़ाएगी।
पेरिस स्थित इस एजेंसी का कहना है कि साल 2035 तक भारत में ऊर्जा की मांग हर साल औसतन 3% बढ़ेगी। यह दर दुनिया के बाकी उभरते और विकासशील देशों से सबसे ज्यादा होगी। रिपोर्ट के अनुसार साल 2035 तक दुनिया में तेल की खपत में जितनी बढ़ोतरी होगी, उसका सबसे बड़ा हिस्सा भारत से आएगा। यह चीन और दक्षिण पूर्व एशिया को मिलाकर होने वाली बढ़ोतरी से भी ज्यादा होगा। आईईए ने कहा कि पिछले दशक में तेल की मांग में 75% से ज्यादा की बढ़ोतरी चीन से हुई थी, लेकिन अब यह तस्वीर बदल रही है। भारत तेल की मांग में बढ़ोतरी का नया केंद्र बनने जा रहा है।
भारत में तेल की खपत बढ़ने का कारणसाल 2024 में भारत में हर दिन 5.5 मिलियन बैरल (mbpd) तेल की खपत हो रही है, जो साल 2035 तक बढ़कर 8 mbpd तक पहुंचने की उम्मीद है। इसकी वजहें हैं- ज्यादा लोगों का कार खरीदना, प्लास्टिक और केमिकल की बढ़ती मांग, हवाई जहाज के लिए ईंधन और खाना पकाने के लिए एलपीजी का ज्यादा इस्तेमाल। आईईए ने यह भी बताया कि साल 2035 तक दुनिया भर में तेल की मांग में जितनी भी अतिरिक्त बढ़ोतरी होगी, उसका लगभग आधा हिस्सा सिर्फ भारत से आएगा।
आयात पर निर्भरता बढ़ेगीसरकार घरेलू तेल उत्पादन बढ़ाने की कोशिश कर रही है, लेकिन इसके बावजूद आईईए का अनुमान है कि साल 2024 में भारत 87% तेल आयात करता था, जो साल 2035 तक बढ़कर 92% हो जाएगा। हालांकि भारत की रिफाइनिंग क्षमता बढ़ रही है। साल 2024 में यह 6 mbpd थी, जो साल 2035 तक 7.5 mbpd हो जाएगी। इससे भारत परिवहन ईंधन का एक बड़ा निर्यातक बन जाएगा।
प्राकृतिक गैस की मांग होगी दोगुनीभारत में प्राकृतिक गैस की मांग साल 2035 तक लगभग दोगुनी होकर 140 बिलियन क्यूबिक मीटर (bcm) तक पहुंचने का अनुमान है। इसमें शहरों में गैस वितरण का बड़ा योगदान होगा। एलएनजी (लिक्विफाइड नेचुरल गैस) का आयात भी बढ़ेगा, जो अभी 35 bcm है, वह साल 2035 तक 50 bcm तक पहुंच जाएगा।
दुनिया भर में कोयले का इस्तेमाल भले ही कम हो रहा हो, लेकिन भारत में इसका उत्पादन बढ़ता रहेगा। साल 2035 तक इसमें करीब 50 मिलियन टन (Mtce) की बढ़ोतरी होगी। आईईए का कहना है कि इससे घरेलू मांग ज्यादा होने के बावजूद कोयले के आयात में वृद्धि को सीमित करने में मदद मिलेगी। कोल इंडिया लिमिटेड अपने गेवरा खदान का विस्तार करके इसे सालाना 70 मिलियन टन तक ले जाएगा, जिससे यह एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान बन जाएगी। अगले पांच सालों में 36 नई कोयला खदानें भी खोली जानी हैं।
पेरिस स्थित इस एजेंसी का कहना है कि साल 2035 तक भारत में ऊर्जा की मांग हर साल औसतन 3% बढ़ेगी। यह दर दुनिया के बाकी उभरते और विकासशील देशों से सबसे ज्यादा होगी। रिपोर्ट के अनुसार साल 2035 तक दुनिया में तेल की खपत में जितनी बढ़ोतरी होगी, उसका सबसे बड़ा हिस्सा भारत से आएगा। यह चीन और दक्षिण पूर्व एशिया को मिलाकर होने वाली बढ़ोतरी से भी ज्यादा होगा। आईईए ने कहा कि पिछले दशक में तेल की मांग में 75% से ज्यादा की बढ़ोतरी चीन से हुई थी, लेकिन अब यह तस्वीर बदल रही है। भारत तेल की मांग में बढ़ोतरी का नया केंद्र बनने जा रहा है।
भारत में तेल की खपत बढ़ने का कारणसाल 2024 में भारत में हर दिन 5.5 मिलियन बैरल (mbpd) तेल की खपत हो रही है, जो साल 2035 तक बढ़कर 8 mbpd तक पहुंचने की उम्मीद है। इसकी वजहें हैं- ज्यादा लोगों का कार खरीदना, प्लास्टिक और केमिकल की बढ़ती मांग, हवाई जहाज के लिए ईंधन और खाना पकाने के लिए एलपीजी का ज्यादा इस्तेमाल। आईईए ने यह भी बताया कि साल 2035 तक दुनिया भर में तेल की मांग में जितनी भी अतिरिक्त बढ़ोतरी होगी, उसका लगभग आधा हिस्सा सिर्फ भारत से आएगा।
आयात पर निर्भरता बढ़ेगीसरकार घरेलू तेल उत्पादन बढ़ाने की कोशिश कर रही है, लेकिन इसके बावजूद आईईए का अनुमान है कि साल 2024 में भारत 87% तेल आयात करता था, जो साल 2035 तक बढ़कर 92% हो जाएगा। हालांकि भारत की रिफाइनिंग क्षमता बढ़ रही है। साल 2024 में यह 6 mbpd थी, जो साल 2035 तक 7.5 mbpd हो जाएगी। इससे भारत परिवहन ईंधन का एक बड़ा निर्यातक बन जाएगा।
प्राकृतिक गैस की मांग होगी दोगुनीभारत में प्राकृतिक गैस की मांग साल 2035 तक लगभग दोगुनी होकर 140 बिलियन क्यूबिक मीटर (bcm) तक पहुंचने का अनुमान है। इसमें शहरों में गैस वितरण का बड़ा योगदान होगा। एलएनजी (लिक्विफाइड नेचुरल गैस) का आयात भी बढ़ेगा, जो अभी 35 bcm है, वह साल 2035 तक 50 bcm तक पहुंच जाएगा।
दुनिया भर में कोयले का इस्तेमाल भले ही कम हो रहा हो, लेकिन भारत में इसका उत्पादन बढ़ता रहेगा। साल 2035 तक इसमें करीब 50 मिलियन टन (Mtce) की बढ़ोतरी होगी। आईईए का कहना है कि इससे घरेलू मांग ज्यादा होने के बावजूद कोयले के आयात में वृद्धि को सीमित करने में मदद मिलेगी। कोल इंडिया लिमिटेड अपने गेवरा खदान का विस्तार करके इसे सालाना 70 मिलियन टन तक ले जाएगा, जिससे यह एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान बन जाएगी। अगले पांच सालों में 36 नई कोयला खदानें भी खोली जानी हैं।
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