18 जनवरी 2012 की शाम दिल्ली के एम्स ट्रॉमा सेंटर में एक 15 साल की लड़की पहुंची। उसकी गोद में दो साल की बेहोश बच्ची थी। लड़की ने डॉक्टरों से कहा कि बच्ची बिस्तर से गिर गई है, लेकिन जब डॉक्टरों ने उसे देखा तो वे हैरान रह गए। बच्ची के सिर पर गहरी चोट थी, दोनों हाथ टूटे थे, शरीर पर दांतों के निशान और जलाने के निशान थे।
यह किसी साधारण हादसे की तरह नहीं लग रहा था। डॉक्टरों ने तुरंत पुलिस को सूचना की। बच्ची की पहचान किसी को नहीं थी, इसलिए नर्सों ने प्यार से उसका नाम फलक रखा। धीरे-धीरे पूरा देश उस छोटी सी बच्ची के लिए दुआ करने लगा। एम्स के डॉक्टरों ने बताया कि फलक के दिमाग में खून का थक्का था और वह कोमा में थी। वह सांस लेने के लिए मशीन पर थी।
जांच में हुए चौंकाने वाले खुलासे पुलिस ने जांच शुरू की और उस 15 साल की लड़की को हिरासत में लिया जो फलक को लेकर आई थी। कुछ दिनों बाद पुलिस को असली मां "मुन्नी" मिली। मुन्नी बिहार की रहने वाली थी। उसे दो महिलाओं ने नौकरी और शादी का झांसा देकर दिल्ली बुलाया था। बाद में उन महिलाओं ने मुन्नी की दूसरी शादी करवा दी और उसके बच्चों का ध्यान रखने की बात कही। लेकिन वह औरतें मुन्नी को बस झांसा दे रही थी। उन्होंने उसके तीनों बच्चों को अलग-अलग लोगों को बेच दिया। फलक को एक नाबालिग लड़की के पास भेज दिया गया, जो खुद भी तस्करी का शिकार थी।
नाबालिग लड़की मुन्नी ने बताया कि दो महिलाएं, लक्ष्मी और कांति, उसे धोखे से बेचकर बच्चों को अलग कर चुकी थीं। फलक पहले मनजोत नाम के एक आदमी के पास रही, फिर राजकुमार नाम के शख्स के पास पहुंची। राजकुमार ने फलक को अपनी 15 साल की प्रेमिका लक्ष्मी के हवाले कर दिया। यही लड़की फलक को अस्पताल लेकर आई थी। वह खुद भी शोषित थी और उसे उसके पिता ने बेच दिया था।
गर्म लोहे से मासूम के गाल जलाए राजकुमार ने उसका बार-बार शोषण किया था। नाबालिग लड़की ने पुलिस के सामने कबूली कि जब फलक रोती थी तो वह उसे मारती थी। एक दिन गुस्से में उसने बच्ची का सिर दीवार पर मारा, गर्म लोहे से गाल जलाए और काटा। जब हालत बिगड़ गई तो वह उसे अस्पताल लेकर आई। पहले वह बच्ची को लेकर निजी अस्पताल गई थी लेकिन फिर वहां उसे ऐम्स रेफर कर दिया था।
56 दिन तक लड़ी जिंदगी की जंग फलक की हालत बहुत नाजुक थी। डॉक्टरों ने उसके दिमाग की छह सर्जरी कीं। उसने 56 दिन तक जिंदगी से लड़ाई लड़ी। कुछ समय बाद उसकी हालत सुधरने लगी और उसे वेंटिलेटर से हटा दिया गया। नर्सें उसे प्यार से "मिरेकल बेबी" कहने लगीं। देशभर के लोग उसके लिए दुआएं करने लगे। यहां तक कि विदेशों से भी लोग उसे गोद लेने की इच्छा जताने लगे। लेकिन धीरे-धीरे उसकी तबीयत फिर बिगड़ने लगी। 15 मार्च 2012 की रात को फलक को तीसरा हार्ट अटैक आया। डॉक्टरों ने बहुत कोशिश की, लेकिन वह नहीं बच सकी। रात 9:40 बजे उसने आखिरी सांस ली। फलक 56 दिन तक दर्द और सर्जरी झेलती रही, लेकिन आखिरकार उसकी नन्ही सी जिंदगी खत्म हो गई।
मानव तस्करी के खतरनाक जाल का हुआ पर्दाफाश बाद में पुलिस ने लक्ष्मी, कांति, राजकुमार और अन्य लोगों समेत कुल दस लोगों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने फलक का भाई दिल्ली में और बहन बिहार में ढूंढ निकाली। यह पूरा मामला मानव तस्करी और बाल शोषण के खतरनाक जाल का पर्दाफाश था। 16 मार्च 2012 को फलक को दिल्ली के फिरोजशाह कोटला कब्रिस्तान में दफनाया गया। बड़ी संख्या में लोग उसे अंतिम विदाई देने पहुंचे। मां मुन्नी लगातार रोती रही। सरकार ने इस केस को मानव तस्करी का मामला माना और इसके बाद बच्चों की सुरक्षा को लेकर सख्त कदम उठाने की मांग तेज हो गई।
वेब सीरीज में दिखेगी ये दर्दनाक कहानी बताया जा रहा है कि शेफाली शाह और हुमा कुरैशी की वेब सीरीज Delhi Crime season 3 इसी घटना पर आधारित है। 13 नवंबर को Netflix पर रिलीज होने जा रही है। इस घटना ने पूरे देश को हिला दिया था। यह सिर्फ एक मासूम बच्ची की नहीं, बल्कि ऐसे समाज की कहानी है जहां इंसानियत खामोश हो जाती है।
यह किसी साधारण हादसे की तरह नहीं लग रहा था। डॉक्टरों ने तुरंत पुलिस को सूचना की। बच्ची की पहचान किसी को नहीं थी, इसलिए नर्सों ने प्यार से उसका नाम फलक रखा। धीरे-धीरे पूरा देश उस छोटी सी बच्ची के लिए दुआ करने लगा। एम्स के डॉक्टरों ने बताया कि फलक के दिमाग में खून का थक्का था और वह कोमा में थी। वह सांस लेने के लिए मशीन पर थी।
जांच में हुए चौंकाने वाले खुलासे पुलिस ने जांच शुरू की और उस 15 साल की लड़की को हिरासत में लिया जो फलक को लेकर आई थी। कुछ दिनों बाद पुलिस को असली मां "मुन्नी" मिली। मुन्नी बिहार की रहने वाली थी। उसे दो महिलाओं ने नौकरी और शादी का झांसा देकर दिल्ली बुलाया था। बाद में उन महिलाओं ने मुन्नी की दूसरी शादी करवा दी और उसके बच्चों का ध्यान रखने की बात कही। लेकिन वह औरतें मुन्नी को बस झांसा दे रही थी। उन्होंने उसके तीनों बच्चों को अलग-अलग लोगों को बेच दिया। फलक को एक नाबालिग लड़की के पास भेज दिया गया, जो खुद भी तस्करी का शिकार थी।
A crime that crosses every border, a criminal that crosses every line. Madam Sir and team take on Badi Didi 🚨
— Netflix India (@NetflixIndia) November 4, 2025
Watch Delhi Crime Season 3, out 13 November, only on Netflix.#DelhiCrimeS3OnNetflix pic.twitter.com/rvEfEH3sb6
नाबालिग लड़की मुन्नी ने बताया कि दो महिलाएं, लक्ष्मी और कांति, उसे धोखे से बेचकर बच्चों को अलग कर चुकी थीं। फलक पहले मनजोत नाम के एक आदमी के पास रही, फिर राजकुमार नाम के शख्स के पास पहुंची। राजकुमार ने फलक को अपनी 15 साल की प्रेमिका लक्ष्मी के हवाले कर दिया। यही लड़की फलक को अस्पताल लेकर आई थी। वह खुद भी शोषित थी और उसे उसके पिता ने बेच दिया था।
गर्म लोहे से मासूम के गाल जलाए राजकुमार ने उसका बार-बार शोषण किया था। नाबालिग लड़की ने पुलिस के सामने कबूली कि जब फलक रोती थी तो वह उसे मारती थी। एक दिन गुस्से में उसने बच्ची का सिर दीवार पर मारा, गर्म लोहे से गाल जलाए और काटा। जब हालत बिगड़ गई तो वह उसे अस्पताल लेकर आई। पहले वह बच्ची को लेकर निजी अस्पताल गई थी लेकिन फिर वहां उसे ऐम्स रेफर कर दिया था।
56 दिन तक लड़ी जिंदगी की जंग फलक की हालत बहुत नाजुक थी। डॉक्टरों ने उसके दिमाग की छह सर्जरी कीं। उसने 56 दिन तक जिंदगी से लड़ाई लड़ी। कुछ समय बाद उसकी हालत सुधरने लगी और उसे वेंटिलेटर से हटा दिया गया। नर्सें उसे प्यार से "मिरेकल बेबी" कहने लगीं। देशभर के लोग उसके लिए दुआएं करने लगे। यहां तक कि विदेशों से भी लोग उसे गोद लेने की इच्छा जताने लगे। लेकिन धीरे-धीरे उसकी तबीयत फिर बिगड़ने लगी। 15 मार्च 2012 की रात को फलक को तीसरा हार्ट अटैक आया। डॉक्टरों ने बहुत कोशिश की, लेकिन वह नहीं बच सकी। रात 9:40 बजे उसने आखिरी सांस ली। फलक 56 दिन तक दर्द और सर्जरी झेलती रही, लेकिन आखिरकार उसकी नन्ही सी जिंदगी खत्म हो गई।
मानव तस्करी के खतरनाक जाल का हुआ पर्दाफाश बाद में पुलिस ने लक्ष्मी, कांति, राजकुमार और अन्य लोगों समेत कुल दस लोगों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने फलक का भाई दिल्ली में और बहन बिहार में ढूंढ निकाली। यह पूरा मामला मानव तस्करी और बाल शोषण के खतरनाक जाल का पर्दाफाश था। 16 मार्च 2012 को फलक को दिल्ली के फिरोजशाह कोटला कब्रिस्तान में दफनाया गया। बड़ी संख्या में लोग उसे अंतिम विदाई देने पहुंचे। मां मुन्नी लगातार रोती रही। सरकार ने इस केस को मानव तस्करी का मामला माना और इसके बाद बच्चों की सुरक्षा को लेकर सख्त कदम उठाने की मांग तेज हो गई।
वेब सीरीज में दिखेगी ये दर्दनाक कहानी बताया जा रहा है कि शेफाली शाह और हुमा कुरैशी की वेब सीरीज Delhi Crime season 3 इसी घटना पर आधारित है। 13 नवंबर को Netflix पर रिलीज होने जा रही है। इस घटना ने पूरे देश को हिला दिया था। यह सिर्फ एक मासूम बच्ची की नहीं, बल्कि ऐसे समाज की कहानी है जहां इंसानियत खामोश हो जाती है।
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