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'डाइनिंग विद द कपूर्स' OTT रिलीज डेट: राज कपूर के 100 साल के जश्न में साथ आया परिवार, पर गायब हैं आलिया भट्ट!

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बॉलीवुड के सबसे बड़े फिल्‍मी परिवार के साथ लंच करने का मौका? जी हां, OTT पर जल्‍द ही दर्शकों को कपूर परिवार से रूबरू होने का मौका मिलेगा, वो भी उनके डाइनिंग टेबल पर। इस फैमिली शो का नाम है 'डाइनिंग विद द कपूर्स', जिसमें रणबीर कपूर से लेकर करीना कपूर, करिश्‍मा कपूर, नीतू कपूर से लेकर रणधीर कपूर तक नजर आने वाले हैं। इसमें खाने की मेज पर जहां एक तरह कपूर परिवार होगा, वहीं उनकी जिंदगी से जुड़े मजेदार किस्‍से, उनके तौर-तरीकों के साथ सेलेब्‍स की दुनिया के कुछ दिलचस्‍प खुलासे भी होने वाले हैं। मेकर्स ने शुक्रवार को 'डाइनिंग विद द कपूर्स' की रिलीज डेट का ऐलान कर दिया है। लेकिन दिलचस्‍प है कि इसके पोस्‍टर और पोस्‍ट दोनों से आलिया भट्ट का नाम गायब है, अब जाहिर है फैंस इसको लेकर सवाल उठा रहे हैं।

'डाइनिंग विद द कपूर्स' असल में एक फैमिली डॉक्‍यूमेंट्री शो है। यह OTT प्‍लेटफॉर्म Netflix पर 21 नवंबर को रिलीज होने वाली है। यह शो कपूर परिवार के लेजेंड्री फिल्‍ममेकर राज कपूर के 100 साल पूरे होने का जश्‍न है। भारतीय सिनेमा के 'शोमैन' राज कपूर की फिल्‍मों ने तब भी जादू चलाया था और आज भी फैंस की फेवरेट रही हैं।


अरमान जैन हैं शो के क्रिएटरइस डॉक्‍यूमेंट्री 'डाइनिंग विद द कपूर्स' के क्रिएटर अरमान जैन हैं, जबकि स्मृति मुंद्रा इसकी राइटर-डायरेक्‍टर हैं। यह शो एक ऐसे परिवार को करीब से जानने का मौका है, जिसने फिल्‍म डंडस्‍ट्री को सबसे अध‍िक सुपरस्टार्स दिए हैं। पर्दे के पीछे की उनकी दुनिया, उनकी कहानियां, फिल्मों से उनका प्रेम, उनके खाने के तौर-तरीके, इस डॉक्यूमेंट्री में इन सब की झलक मिलने वाली है, वो भी अनफ‍िल्टर्ड।

पोस्‍टर और पोस्‍ट, दोनों से आलिया भट्ट है गायबहालांकि, शो के पोस्‍टर और सोशल मीडिया पोस्‍ट को देखकर आलिया भट्ट के फैंस चिंता में पड़ गए हैं। वजह ये है कि शो के पोस्‍टर और पोस्‍ट में टैग किए गए नामों में रणधीर कपूर, नीतू कपूर, रीमा जैन, रणबीर कपूर, करीना कपूर खान, करिश्मा कपूर, यहां तक कि सैफ अली खान और रिद्धिमा कपूर साहनी तक की झलक है, लेकिन आलिया भट्ट इसमें से गायब हैं। इसका पहला पोस्टर इसी साल फरवरी में जारी किया गया था।

अरमान बोले- ये नानाजी को सम्‍मान देने का मेरा तरीका हैशो के क्रिएटर अरमान जैन कहते हैं, 'कपूर खानदान को एक साथ टेबल पर लाना पीढ़ियों की कहानियों को सामने लाने जैसा था। हंसी, शोरगुल, अंतहीन पकवान, और जाहिर है वो मजाक-मसखरी जो हमारे डीएनए में है। कपूर परिवार के साथ भोजन करना, नानाजी (राज कपूर) को सम्मान देने और उस बंधन का जश्न मनाने का ये मेरा तरीका है, जो हमें आज भी जोड़े हुए है। इस कहानी को दुनियाभर के दर्शकों के साथ शेयर करने के लिए नेटफ्लिक्स से बेहतर कोई दूसरा साथी नहीं हो सकता था। मेरी कंपनी, अवश्य मीडिया का यह प्रोजेक्ट परिवार, फ‍िल्म और उन यादों के लिए एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि है जो हमें आकार देती हैं।'


'विरासत और स्वाद से भरपूर एक यात्रा'दूसरी ओर, 'नेटफ्लिक्स इंडिया' की सीरीज हेड, तान्या बामी कहती हैं, 'डाइनिंग विद द कपूर्स के साथ, हम एक ऐसी कहानी लेकर आए हैं जो यादगार और दिल को छू लेने वाली दोनों है। जब कपूर खानदान अपने महान राज कपूर के 100 साल पूरे होने का जश्न मनाने के लिए एकसाथ आता है, तो यह हमें विरासत और स्वाद से भरपूर एक यात्रा पर लेकर जाती है।'


भारतीय सिनेमा के 'सबसे बड़े शोमैन' राज कपूरराज कपूर, भारतीय सिनेमा के सबसे महान फिल्‍मकारों में से हैं। एक्‍टर, डायरेक्‍टर और प्रोड्यूसर के तौर पर उन्‍होंने हिंदी सिनेमा को ऐसी फिल्‍में दी हैं, जिन पर कभी वक्‍त की धूल नहीं पड़ती। राज कपूर की फिल्‍मों में हमें तत्‍कालीन भारत में आम आदमी का दर्द भी देखने को मिलता है और भविष्‍य की ओर देखती दुनिया भी। वह जितने मंझे हुए फिल्‍मकार थे, उतने ही बेहरीन एक्‍टर भी। यही कारण है कि उन्हें भारतीय सिनेमा का 'सबसे बड़ा शोमैन' कहा जाता है। भारत सरकार ने कला में उनके योगदान के लिए 1971 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया। जबकि 1988 में उन्‍हें सिनेमा की दुनिया का सर्वोच्च सम्‍मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार दिया गया।

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राज कपूर को की फिल्‍में, पुरस्‍कार और दुनिया में उनकी ख्‍यात‍िकपूर परिवार के दिग्‍गज अभ‍िनेता पृथ्वीराज कपूर के सबसे बड़े बेटे राज कपूर का जन्‍म ब्रिटिश भारत के पेशावर में हुआ था। उन्हें अपने करियर में तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और 11 फिल्मफेयर पुरस्कार मिले। वह चार्ली चैपलिन से बहुत प्रेरित थे और उन्होंने 'आवारा' (1951), 'श्री 420' (1955) और 'मेरा नाम जोकर' (1970) जैसी फ‍िल्मों में चैपलिन के 'द ट्रैम्प' पर आधारित किरदार निभाए। 'आवारा' में उनकी एक्‍ट‍िंग को 2005 में 'टाइम मैगजीन' ने वर्ल्‍ड सिनेमा में अब तक के 10 सबसे महान किरदारों में से एक माना। उनकी 'आवारा' (1951) और 'बूट पॉलिश' (1954) ने कान फ‍िल्म फेस्‍ट‍िवल में पाल्मे डी'ओर अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट हुई थी।
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