नई दिल्ली: भारतीय सेना ने पहली बार अपनी फॉरवर्ड पोस्ट के लिए विंटर स्टॉकिंग यानी सर्दियों के लिए जरूरी सामान जुटाने की खातिर मालगाड़ी का इस्तेमाल शुरू किया है। अब तक सिर्फ सड़क मार्ग से या फिर हवाई मार्ग से ही विंटर स्टॉकिंग होती रही है।
सेब किसानों को भी फायदाभारतीय सेना की इस विशेष मालगाड़ी से सिर्फ सेना की जरूरत ही पूरी नहीं हो रही है, बल्कि इससे कश्मीर के परेशान सेब उत्पादकों को भी राहत मिलेगी। भूस्खलन और बाढ़ की वजह से कश्मीर के सेब उत्पादकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। अब इस मालगाड़ी के जरिए ही कश्मीर के सेब उत्पादक अपना सेब भी भेज पाएंगे।
पहली मालगाड़ी यहां से चलीउधमपुर–श्रीनगर–बारामूला रेल लिंक (USBRL) पर 12-13 सितंबर को भारतीय सेना की पहली विशेष मालगाड़ी BD बाड़ी से अनंतनाग तक चलाई गई। इस ट्रेन से 753 मीट्रिक टन का अडवांस विंटर स्टॉकिंग सामान सेना की यूनिटों और ठिकानों तक पहुंचाया गया। इससे कठिन हिमालयी इलाकों में सेना की सर्दियों की तैयारियों में बड़ा बदलाव आया है।
वापसी में यही मालगाड़ी कश्मीरी सेब लेकर आएगी
वापसी में यही मालगाड़ी कश्मीरी सेब लेकर देश के दूसरे हिस्सों तक जाएगी। इस मालगाड़ी का डबल फायदा है। इससे सेना की तैयारी मजबूत होगी और साथ ही कश्मीर के किसानों को भी सीधा फायदा मिलेगा। इससे वह अपना माल भेज पाएंगे। इस मालगाड़ी से भारतीय सेना की 14 वीं कोर और 15 वीं कोर में विंटर स्टॉकिंग की जा रही है। 14 वीं कोर यानी लद्दाख वाला इलाका और 15 वीं कोर यानी कश्मीर। एलओसी (लाइन ऑफ कंट्रोल) और एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) में भारतीय सेना की कई ऐसी पोस्ट हैं जो सर्दियों में पूरी तरह कट जाती हैं।
विंटर स्टॉकिंग कैसे होती है?करीब 4-5 महीने तक यहां इमरजेंसी में सिर्फ हवाई मार्ग से ही कनेक्ट किया जा सकता है। ऐसी पोस्ट के लिए सर्दियां शुरू होने से पहले ही सभी जरूरी सामान की विंटर स्टॉकिंग कर ली जाती है। ईस्टर्न लद्दाख में एलएसी पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच डिसइंगेजमेंट तो हो गया है और डीएस्केलेशन के लिए आगे बातचीत भी होगी। लेकिन अभी भी भारत और चीन दोनों तरफ से करीब 50-50 हजार सैनिकों की एलएसी पर तैनाती है। इसी तरह एलओसी पर भी भारतीय सेना की तैनाती है, जिसके लिए विंटर स्टॉकिंग की जा रही है।
सेब किसानों को भी फायदाभारतीय सेना की इस विशेष मालगाड़ी से सिर्फ सेना की जरूरत ही पूरी नहीं हो रही है, बल्कि इससे कश्मीर के परेशान सेब उत्पादकों को भी राहत मिलेगी। भूस्खलन और बाढ़ की वजह से कश्मीर के सेब उत्पादकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। अब इस मालगाड़ी के जरिए ही कश्मीर के सेब उत्पादक अपना सेब भी भेज पाएंगे।
पहली मालगाड़ी यहां से चलीउधमपुर–श्रीनगर–बारामूला रेल लिंक (USBRL) पर 12-13 सितंबर को भारतीय सेना की पहली विशेष मालगाड़ी BD बाड़ी से अनंतनाग तक चलाई गई। इस ट्रेन से 753 मीट्रिक टन का अडवांस विंटर स्टॉकिंग सामान सेना की यूनिटों और ठिकानों तक पहुंचाया गया। इससे कठिन हिमालयी इलाकों में सेना की सर्दियों की तैयारियों में बड़ा बदलाव आया है।

वापसी में यही मालगाड़ी कश्मीरी सेब लेकर आएगी
वापसी में यही मालगाड़ी कश्मीरी सेब लेकर देश के दूसरे हिस्सों तक जाएगी। इस मालगाड़ी का डबल फायदा है। इससे सेना की तैयारी मजबूत होगी और साथ ही कश्मीर के किसानों को भी सीधा फायदा मिलेगा। इससे वह अपना माल भेज पाएंगे। इस मालगाड़ी से भारतीय सेना की 14 वीं कोर और 15 वीं कोर में विंटर स्टॉकिंग की जा रही है। 14 वीं कोर यानी लद्दाख वाला इलाका और 15 वीं कोर यानी कश्मीर। एलओसी (लाइन ऑफ कंट्रोल) और एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) में भारतीय सेना की कई ऐसी पोस्ट हैं जो सर्दियों में पूरी तरह कट जाती हैं।
विंटर स्टॉकिंग कैसे होती है?करीब 4-5 महीने तक यहां इमरजेंसी में सिर्फ हवाई मार्ग से ही कनेक्ट किया जा सकता है। ऐसी पोस्ट के लिए सर्दियां शुरू होने से पहले ही सभी जरूरी सामान की विंटर स्टॉकिंग कर ली जाती है। ईस्टर्न लद्दाख में एलएसी पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच डिसइंगेजमेंट तो हो गया है और डीएस्केलेशन के लिए आगे बातचीत भी होगी। लेकिन अभी भी भारत और चीन दोनों तरफ से करीब 50-50 हजार सैनिकों की एलएसी पर तैनाती है। इसी तरह एलओसी पर भी भारतीय सेना की तैनाती है, जिसके लिए विंटर स्टॉकिंग की जा रही है।
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