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शर्तें मानो, फंडिंग पाओ! अमेरिकी की टॉप यूनिवर्सिटीज के सामने डोनाल्ड ट्रंप ने रखीं ये 10 मांगें

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Donald Trump Memo: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 10 प्वाइंट का एक मेमो जारी किया है, जिसमें अमेरिकी यूनिवर्सिटीज की पॉलिसी को बदलने की मांग की गई है। साफ तौर पर कहा गया है कि अगर यूनिवर्सिटीज को सरकारी फंडिंग चाहिए, तो फिर उन्हें सरकार के नियमों को मानना होगा। मेमो के जरिए विदेशी छात्रों के एडमिशन, एडमिशन के तौर-तरीकों, ट्यूशन फीस और विचारधारा को निशाना बनाया गया है। कुल मिलाकर 9 यूनिवर्सिटीज को टारगेट करते हुए ये नया मेमो पेश किया गया है।

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इन यूनिवर्सिटीज में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, डार्टमाउथ, यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिल्वेनिया, यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया, यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास, ब्राउन यूनिवर्सिटी, वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना और यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया शामिल हैं। सरकार ने साफ तौर पर कहा है कि अगर कोई भी यूनिवर्सिटी नियमों को नहीं मानती है, तो फिर उसे सरकारी फंडिंग और ग्रांट नहीं मिलेंगे। उसके ऊपर अमेरिकी न्याय विभाग की निगरानी भी होगी। आइए मेमो के 10 प्वाइंट्स जानते हैं।



विदेशी छात्रों की संख्या 15% तक सीमित करना

ऊपर बताई गईं यूनिवर्सिटीज को ये सुनिश्चित करना होगा कि उनके यहां अंडरग्रेजुएट कोर्स की पढ़ाई कर रहे विदेशी छात्रों की संख्या 15% से ज्यादा ना हो। इसका मकसद विदेशी छात्रों पर से निर्भरता कम करना है, जो ज्यादा ट्यूशन फीस भी भरते हैं। आलोचकों को कहना है कि इससे अकेडमिक विविधता पर असर पड़ेगा।



हर देश के छात्रों की संख्या 5% पर सीमित करना

मेमो में कहा गया है कि किसी देश के छात्र किसी एक यूनिवर्सिटी में 5% फीसदी से ज्यादा नहीं होने चाहिए। इसका मकसद यूनिवर्सिटी में विविधता बढ़ाना है और किसी एक देश पर से निर्भरता को कम करना है।



हायरिंग और एडमिशन में नस्ल या जेंडर का इस्तेमाल बैन

यूनिवर्सिटीज को एडमिशन और स्टाफ की हायरिंग के दौरान नस्ल या जेंडर के आधार पर फैसला लेना बंद करना होगा। मेमो में कहा गया है कि बिना अफर्मेटिव एक्शन का इस्तेमाल किए, सभी तरह की हायरिंग मेरिट के आधार पर होनी चाहिए।



ट्यूशन फीस को पांच साल के लिए फ्रीज करना

मेमो में कहा गया है कि यूनिवर्सिटीज को पांच साल तक ट्यूशन फीस को फ्रीज करके रखना होगा। इसका मकसद बढ़ते हुए पढ़ाई के खर्च को कंट्रोल करना और कॉलेजों की पढ़ाई को किफायती बनाना है। हालांकि, इससे कॉलेजों का बजट भी बिगड़ सकता है।



SAT जैसे टेस्ट की जरूरत बढ़ाना

कॉलेजों के लिए स्टैंडर्डाइज्ड टेस्ट को अनिवार्य बनाया जाना है। एडमिशन के लिए SAT या इसकी जैसी परीक्षा को अनिवार्य करना। इसके आने के बाद सिर्फ टेस्ट स्कोर के आधार पर ही एडमिशन होंगे।



ग्रेड मुद्रास्फीति को संबोधित करना

यूनिवर्सिटीज से कोर्स के दौरान ग्रेड के मुद्रास्फीति को संबोधित करने के लिए कहा गया है। जहां बढ़ते औसत ग्रेड शैक्षणिक मानकों को कम कर सकते हैं। वहीं मेमो संस्थानों से अधिक कठोर ग्रेडिंग प्रथाओं को लागू करने का आग्रह करता है।



स्टूडेंट, फैकल्टी और स्टाफ के बीच विविधता बढ़ाना

मेमो में निर्देश दिया गया है कि यूनिवर्सिटीज को ऐसा माहौल तैयार करना होगा, जहां विविधता भरी राजनीति और विचारधाराओं को बढ़ने का मौका मिले। कुल मिलाकर हर तरह की विचारधारा के लिए जगह हो।



रूढ़िवादी विचारों वाले कोर्स को खत्म करना

यूनिवर्सिटीज को उन कोर्सेज और यूनिट को खत्म करने को कहा गया है, जिसमें रूढ़िवादी विचारों के खिलाफ हिंसा या सजा की बात की गई है। इसका मकसद अभिव्यक्ति की आजादी सुनिश्चित करना है।



अमेरिकी और पश्चिमी मूल्यों वाले छात्रों की पहचान करना

यूनिवर्सिटीज से कहा गया है कि वे एडमिशन से पहले हर उस छात्र की पहचान करें, जो अमेरिकी और पश्चिमी मूल्यों का समर्थन करते हैं। ऐसे छात्रों को ही एडमिशन मिले। अमेरिका से दुश्मनी रखने वाले छात्रों को बाहर किया जाए।



विदेशी छात्रों की जानकारी फेडरल एजेंसी से साझा करना

विदेशी छात्रों की सारी जानकारी सरकारी फेडरल एजेंसी के साथ साझा करना भी जरूरी है। डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड और डिपार्टमेंट और स्टेट दोनों के साथ सभी तरह की जानकारी शेयर की जाए।

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