GST काउंसिल की हालिया बैठक से उपभोक्ताओं के लिए बड़ा झटका आया है। सरकार ने यह तय किया है कि सिगरेट, गुटखा, पान मसाला और अन्य सभी तंबाकू उत्पादों पर टैक्स का बोझ और बढ़ेगा। पहले जहां इन पर 28% जीएसटी लगता था, वहीं अब दर सीधे बढ़ाकर 40% कर दी गई है। यह संशोधित दरें 22 सितंबर 2025 से लागू होंगी। सिर्फ तंबाकू उत्पाद ही नहीं, बल्कि लग्जरी कारें, फास्ट फूड और मीठे कार्बोनेटेड ड्रिंक्स भी अब इसी श्रेणी में आ गए हैं। यानी जो चीजें पहले से ही महंगी थीं, अब और ज्यादा जेब ढीली करेंगी।
सिगरेट और पान मसाले की कीमतें आसमान छूएंगी
नई दरों का असर उपभोक्ताओं को सीधा अपनी जेब पर महसूस होगा। मान लीजिए, अभी एक पैकेट सिगरेट 256 रुपये का मिलता है, तो टैक्स बढ़ने के बाद उसकी कीमत लगभग 280 रुपये तक पहुंच जाएगी। यानी एक झटके में 24 रुपये का इजाफा। इसी तरह गुटखा, चबाने वाला तंबाकू, जर्दा और पान मसाला भी महंगे हो जाएंगे। ये सभी ‘सिन गुड्स’ (Sin Goods) की श्रेणी में रखे गए हैं और लंबे समय से इन पर भारी टैक्स और कंपनसेशन सेस लागू किया जाता रहा है।
फास्ट फूड और शुगर ड्रिंक्स भी होंगे महंगे
सरकार ने सिर्फ तंबाकू ही नहीं, बल्कि कई अन्य उत्पादों को भी 40% जीएसटी स्लैब में डाल दिया है। इसमें शामिल हैं–
- जंक फूड और फास्ट फूड
- फ्लेवर युक्त या कार्बोनेटेड मीठे ड्रिंक्स
- सुपर लग्जरी गाड़ियां और निजी विमान
- एडेड शुगर वाले उत्पाद और जर्दा
इन सभी वस्तुओं को सरकार ने ‘सिन और लग्जरी गुड्स’ की नई श्रेणी में रखा है। सरकार का तर्क है कि इनका अधिक इस्तेमाल सेहत और पर्यावरण दोनों को नुकसान पहुंचाता है, इसलिए खपत पर अंकुश लगाना जरूरी है।
टैक्स वसूली का नया आधार – रिटेल सेल प्राइस
पहले तक इन उत्पादों पर टैक्स उनकी ट्रांजेक्शन वैल्यू यानी लेन-देन की कीमत पर तय होता था। अब इस व्यवस्था को बदल दिया गया है। आगे से टैक्स रिटेल सेल प्राइस (RSP) के आधार पर वसूला जाएगा। इस बदलाव का मकसद टैक्स चोरी पर रोक लगाना और कंपनियों को सख्ती से नियमों का पालन कराने का है। इसके अलावा, जब तक सेस से जुड़ी पुरानी देनदारियों की भरपाई पूरी नहीं हो जाती, तब तक इन उत्पादों पर किसी तरह की राहत की उम्मीद नहीं है।
टैक्स ढांचे में बड़ा बदलाव – दो स्लैब खत्म
जीएसटी काउंसिल ने टैक्स सिस्टम को और पारदर्शी व आसान बनाने की दिशा में एक और कदम उठाया है। 12% और 28% वाले दो टैक्स स्लैब को हटा दिया गया है। अब ज्यादातर वस्तुएं केवल 5% या 18% स्लैब में रहेंगी।
इससे जहां कुछ रोज़मर्रा की चीजें मध्यम वर्ग के लिए थोड़ी सस्ती हो सकती हैं, वहीं यह कदम सरकार के टैक्स संग्रह को मजबूत करेगा। साथ ही, यह भी उम्मीद है कि महंगे टैक्स के चलते लोग धीरे-धीरे तंबाकू, फास्ट फूड और मीठे ड्रिंक्स जैसे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले सामान से दूरी बनाएंगे।
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