अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो इस समय भारत के साथ टैरिफ वॉर में उलझे हुए हैं, अब अपने ही देश में व्यापक विरोध का सामना कर रहे हैं। श्रमिक दिवस के मौके पर सोमवार को हजारों कामगार सड़कों पर उतर आए और ट्रंप के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने ‘ट्रंप वापस जाओ’ और ‘नेशनल गार्ड नहीं चाहिए’ जैसे नारों से माहौल गर्मा दिया।
न्यूयॉर्क और शिकागो बने विरोध का केंद्र
सबसे बड़ा प्रदर्शन न्यूयॉर्क में ट्रंप के आवास के बाहर और शिकागो में ट्रंप टॉवर के सामने देखने को मिला। इन प्रदर्शनों का आयोजन वन फेयर वेज संगठन ने किया था, जिसका उद्देश्य न्यूनतम मजदूरी की मांग और श्रमिकों की दिक्कतों को उजागर करना था। अमेरिका में अभी भी संघीय स्तर पर न्यूनतम मजदूरी 7.25 डॉलर प्रति घंटा है, जिसे लेकर लंबे समय से नाराजगी है।
प्रदर्शनकारियों ने हाथों में बैनर और तख्तियां लेकर ट्रंप प्रशासन की नीतियों को फासीवादी बताते हुए उसे खत्म करने की मांग की। भीड़ ने ट्रंप को जेल भेजने तक के नारे लगाए।
कई शहरों में गूंजे विरोध के स्वर
वॉशिंगटन डीसी और सैन फ्रांसिस्को की सड़कों पर भी लोग उतर आए। वॉशिंगटन में प्रदर्शनकारियों ने “इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट का अतिक्रमण बंद करो”, “डीसी को मुक्त करो” और “नकाबपोश गुंडे नहीं चाहिए” जैसे संदेश लिखे पोस्टर लहराए। इससे साफ है कि विरोध केवल आर्थिक मुद्दों तक सीमित नहीं है बल्कि आव्रजन नीति को लेकर भी गुस्सा गहरा है।
ट्रंप प्रशासन की कानूनी मुश्किलें
विरोध-प्रदर्शन के बीच ट्रंप प्रशासन को कानूनी झटका भी लगा। एक संघीय न्यायाधीश ने मंगलवार को साफ कहा कि दक्षिणी कैलिफोर्निया में आव्रजन प्रवर्तन के खिलाफ हुए प्रदर्शनों को दबाने के लिए नेशनल गार्ड सैनिकों की तैनाती अवैध थी। इस फैसले ने ट्रंप की नीतियों पर और सवाल खड़े कर दिए हैं और उनके विरोध को मजबूती दी है।
टैरिफ जंग के बीच बढ़ी राजनीतिक चुनौती
भारत के साथ जारी टैरिफ वॉर से अमेरिकी व्यापारिक समुदाय पहले ही नाराज है। अब घरेलू मोर्चे पर भी ट्रंप को जबरदस्त विरोध झेलना पड़ रहा है। श्रमिकों का यह आंदोलन केवल मजदूरी का मुद्दा नहीं बल्कि उनके पूरे कार्यकाल के खिलाफ गुस्से का इजहार माना जा रहा है।