मुंबई, 1 मई . महाराष्ट्र में इस साल कई नगर पालिकाओं और ग्राम पंचायतों के संभावित चुनावों से पहले मराठा राजनीति एक बार फिर जोर पकड़ रही है. इस बीच, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे के हिंदी विरोधी बयान पर बिना किसी का नाम लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री कृपाशंकर सिंह ने कहा कि राजनीतिक कारणों से मराठी और गैर-मराठी के बीच खाई पैदा करना चाहते हैं.
सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने बृहन्नमुंबई नगरपालिका परिषद (बीएमसी) की सत्ता पर कब्जा जमाने के लिए रणनीतिक तैयारियां तेज कर दी हैं. इसी क्रम में भाजपा ने उत्तर भारतीय समुदाय को साधते हुए एक सौहार्दपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया. यह आयोजन उत्तर भारतीय संघ संस्था के जरिए किया गया.
महाराष्ट्र दिवस के अवसर पर गुरुवार को आयोजित इस कार्यक्रम में उत्तर भारतीय समाज ने मराठी-गैर मराठी के बीच सामंजस्य और एकता का संदेश दिया. दिलचस्प बात यह रही कि कार्यक्रम की शुरुआत मराठी भाषा में संबोधन से हुई.
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री कृपाशंकर सिंह ने कहा, “हिंदी माझी आई, मराठी माझी मावशी (हिंदी मेरी मां है, मराठी मेरी मौसी है).” उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा कि कुछ लोग चुनाव आते ही मराठी और गैर-मराठी के बीच खाई पैदा करना चाहते हैं, जब उन्हें अपनी राजनीतिक जमीन खिसकती नजर आती है तभी वे भाषा का सहारा लेते हैं.
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र की भाजपा नीत महायुती सरकार ने प्राथमिक सरकारी स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने का आदेश दिया था. लेकिन कड़े विरोध के बाद उस फैसले को वापस लेना पड़ा. राज ठाकरे ने एक बयान में कहा था, “हम हिंदू हैं, लेकिन हिंदी नहीं.”
कृपाशंकर सिंह ने उत्तर भारतीय समाज को महाराष्ट्र के विकास का “बराबर का भागीदार” बताया और कहा कि यह समाज केवल श्रमिक नहीं, बल्कि राज्य के निर्माण में योगदान देने वाला समर्पित नागरिक वर्ग है.
कार्यक्रम में एक विशेष पहल के तहत जरूरतमंद और प्रशिक्षित महिलाओं को सिलाई मशीनें भेंट की गईं. इसे महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है. इसके जरिए सीधे वोटरों से जुड़ने की कोशिश की जा रही है.
उत्तर भारतीय संघ के अध्यक्ष संतोष आर.एन. सिंह ने कहा कि हमारा उद्देश्य केवल सहायता देना नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता के साथ सम्मान देना भी है. उत्तर भारतीय समाज महाराष्ट्र को केवल रोजगार का स्थल नहीं, बल्कि अपनी कर्मभूमि मानता है.
बीएमसी चुनाव से पहले मराठी बनाम गैर-मराठी भाषा विवाद के बीच इस आयोजन को राजनीतिक दृष्टि से भी अहम संकेत माना जा रहा है. भाजपा द्वारा सौहार्द का यह संदेश न केवल मतदाताओं को जोड़ने की कोशिश है, बल्कि मुंबई की विविधता को एकता में बदलने की रणनीति का हिस्सा भी.
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एफजेड/एकेजे
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