New Delhi, 7 नवंबर . अमेरिका में थर्ड जेंडर को लेकर President डोनाल्ड ट्रंप की नीति पर Supreme court ने मुहर लगा दी है. अब अमेरिकी पासपोर्ट पर थर्ड जेंडर का विकल्प नहीं होगा. पासपोर्ट पर केवल मेल और फीमेल का ही ऑप्शन मिलेगा.
Supreme court ने अपने इस आदेश में कहा कि अब अमेरिकी पासपोर्ट पर जानकारी देखकर लोग उसी लिंग की पहचान कर सकेंगे, जो उनके जन्म के समय दर्ज किया गया था. हालांकि, तीन लिबरल जजों ने Supreme court के इस फैसले पर आपत्ति दर्ज कराई है.
Supreme court का कहना है कि पासपोर्ट पर जन्म के समय का लिंग दिखाना किसी भी तरह से समानता के अधिकार का उल्लंघन नहीं है. यह देश के जन्म स्थान दिखाने जैसा है. यह केवल तथ्य साझा करने जैसा है.
अमेरिकी President डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के दौरान इसी साल जनवरी में विदेश विभाग को पासपोर्ट नियमों में बदलाव का आदेश दिया था. President के आदेशानुसार अमेरिका के जन्म प्रमाणपत्र के आधार पर केवल दो जेंडर को ही मान्यता होगी.
इससे पहले अमेरिकी न्याय विभाग के इस आदेश को निचली अदालत ने हटाने का आदेश दिया था, जिसके बाद ट्रंप Government ने Supreme court का दरवाजा खटखटाया था.
1970 में अमेरिका में पासपोर्ट पर जेंडर दिखाने की शुरुआत हुई थी. फिर 1990 में मेडिकल सर्टिफिकेट के आधार पर जेंडर बदलने की अनुमति दी थी. 2021 में बदलाव करते हुए पूर्व बाइडेन Government ने बिना किसी मेडिकल सर्टिफिकेट के अपना जेंडर चुनने का अधिकार दिया था.
इससे पहले अमेरिकी सेना भर्ती में थर्ड जेंडर को लेकर भी कुछ बदलाव किए गए. इसे लेकर अमेरिकी सेना के एक्स हैंडल पर जानकारी भी साझा की गई थी. इसके तहत थर्ड जेंडर के लोग अमेरिकी सेना में शामिल नहीं हो सकेंगे.
social media प्लेटफॉर्म एक्स पर यूएस आर्मी की ओर से जानकारी दी गई. अमेरिकी सेना अब ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को सेना में शामिल होने की अनुमति नहीं देगा और सेवा सदस्यों के लिए जेंडर बदलने से संबंधित प्रक्रियाओं में सुविधा प्रदान करना बंद कर देगा. तत्काल प्रभाव से जेंडर डिस्फोरिया के इतिहास वाले व्यक्तियों के लिए सभी नए प्रवेश रोक दिए गए हैं.
पोस्ट में आगे लिखा गया कि सेवा सदस्यों के लिए जेंडर परिवर्तन की पुष्टि या सुविधा से जुड़ी सभी अनिर्धारित, निर्धारित या नियोजित मेडिकल प्रक्रियाएं भी रोक दी गई हैं. जेंडर डिस्फोरिया से पीड़ित व्यक्तियों ने हमारे देश की सेवा के लिए स्वेच्छा से काम किया है और उनके साथ सम्मान और गरिमा के साथ व्यवहार किया जाएगा.
जेंडर डिस्फोरिया एक मनोवैज्ञानिक स्थिति है. इसमें व्यक्ति को बायोलॉजिकल जेंडर और जेंडर की पहचान में समानता न होने पर परेशानी होती है.
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केके/वीसी
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