New Delhi/बीजिंग, 28 अगस्त . Prime Minister Narendra Modi और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग Sunday को तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के मौके पर द्विपक्षीय बैठक करेंगे.
Prime Minister मोदी राष्ट्रपति शी के निमंत्रण पर एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए जापान की अपनी दो दिवसीय यात्रा समाप्त करने के बाद चीन पहुंचेंगे.
पीएम मोदी की पिछले सात सालों में पहली चीन यात्रा होगी और जून 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद पहली यात्रा होगी.
दोनों नेताओं की मुलाकात पिछले साल 2024 में रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी. भारत और चीन के बीच लगभग 3500 किलोमीटर लंबी एलएसी पर गश्त को लेकर समझौते के बाद चार साल पुराने सीमा विवाद खत्म होने के कारण यह द्विपक्षीय वार्ता संभव हो सकी थी.
21 अगस्त को भारत में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने कहा कि पीएम मोदी की तियानजिन यात्रा दोनों देशों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने और विकास में नई गति प्रदान करेगी.
उन्होंने New Delhi में एक कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से कहा, “Prime Minister मोदी की चीन यात्रा न केवल एससीओ के लिए बल्कि दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होगी. चीन और भारत का एक कार्य समूह इस यात्रा को सफल बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है. हम इस यात्रा को बहुत महत्व देते हैं और यह बहुत सफल होगी.”
19 अगस्त को चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने New Delhi में पीएम मोदी से मुलाकात की थी. उन्होंने 31 अगस्त से शुरू होने वाले दो दिवसीय एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए राष्ट्रपति शी जिनपिंग का निमंत्रण और संदेश सौंपा था.
इस मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा था, “विदेश मंत्री वांग यी से मिलकर खुशी हुई. पिछले साल कजान में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मेरी मुलाकात के बाद से भारत-चीन संबंधों में एक-दूसरे के हितों और संवेदनाओं का सम्मान करते हुए लगातार प्रगति हुई है. मैं एससीओ शिखर सम्मेलन के मौके पर तियानजिन में हमारी अगली मुलाकात का इंतजार कर रहा हूं. भारत और चीन के बीच स्थिर, विश्वसनीय और रचनात्मक संबंध क्षेत्रीय और वैश्विक शांति व समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देंगे.”
बैठक के दौरान पीएम मोदी ने सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया और सीमा विवाद के निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई.
Prime Minister कार्यालय (पीएमओ) द्वारा जारी बयान में कहा गया, “Prime Minister ने पिछले साल कजान में राष्ट्रपति शी के साथ मुलाकात के बाद से आपसी सम्मान, हित और संवेदनशीलता के आधार पर द्विपक्षीय संबंधों में स्थिर और सकारात्मक प्रगति का स्वागत किया, जिसमें कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली भी शामिल है.”
बयान में आगे कहा गया, “Prime Minister ने एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए राष्ट्रपति शी के निमंत्रण के लिए धन्यवाद दिया और इसे स्वीकार करने की बात कही. उन्होंने चीन की एससीओ शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता का समर्थन किया और कहा कि वह तियानजिन में राष्ट्रपति शी से मिलने के लिए उत्सुक हैं. पीएम ने रेखांकित किया कि भारत और चीन के बीच स्थिर, अनुमानित और रचनात्मक संबंध क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देंगे.”
एससीओ एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसकी स्थापना 15 जून, 2001 को शंघाई में हुई थी. एससीओ के सदस्य देशों में चीन, रूस, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान और बेलारूस शामिल हैं.
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