रतन टाटा का निधन हुए आज एक साल पूरा हो गया है, 9 अक्टूबर यानी आज उनकी पहली पुण्यतिथि है. सादगी भरी जिंदगी जीने वाले रतन टाटा ने कई बड़ी कंपनियों को खड़ा किया और वह करोड़ों लोगों के लिए मिसाल बने. रतन टाटा की टेलीकॉम क्रांति से भारतीयों को सबसे ज्यादा फायदा हुआ था क्योंकि उन्होंने एक ऐसी कंपनी खड़ी की थी जिसने न केवल टेलीकॉम सेक्टर बल्कि लोगों के दिलों में भी अपनी छाप छोड़ दी थी.
बहुत से लोग जानते हैं कि रतन टाटा ने कौन सी टेलीकॉम कंपनी को खड़ा किया था लेकिन अब भी बहुत से लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि रतन टाटा ने किस कंपनी को शुरू किया था? चलिए जानते हैं कि कौन सी थी वो कंपनी, कब शुरू हुई थी और क्यों इस कंपनी ने लोगों के दिलों में खास जगह बना ली थी?
Tata Docomo Journey: कब और कैसे शुरू हुई थी कंपनी?इस टेलीकॉम कंपनी की शुरुआत कैसे हुई, इस बात को जानने से पहले आपका ये समझ लेना जरूरी है कि आखिर इस कंपनी को टाटा डोकोमो नाम कैसे मिला? 2008 में जापानी कंपनी NTT Docomo ने Tata Group की दूरसंचार शाखा में 26 फीसदी हिस्सेदारी के लिए करोड़ों रुपए का निवेश किया था, जब ये दोनों कंपनियां साथ आई तब जाकर इसे नाम मिला टाटा डोकोमो.
टाटा का एक ही मकसद था लोगों को अर्फोडेबल प्लान्स उपलब्ध कराना है क्योंकि बाकी कंपनियों के रिचार्ज प्लान्स बहुत ही ज्यादा महंगे थे. याद दिला दें कि जून 2009 में टाटा डोकोमो ने यूजर्स के लिए 1 पैसे प्रति सेकंड वाला प्लान पेश किया था.
1 सेकंड वाले सस्ते प्लान को जब टाटा डोकोमो ने लॉन्च किया था उस वक्त न्यूनतम एक मिनट की समय सीमा वाले प्लान मौजूद थे. इसका मतलब ये था कि अगर कोई व्यक्ति 10 सेकंड भी बात करता था तो उस व्यक्ति को 1 मिनट के हिसाब से चार्ज देना पड़ता था. लोगों की भलाई के बारे में सोचते हुए इस प्लान को लाया गया जिससे कंपनी को खूब फायदा हो रहा था.
लॉन्च होने के केवल पांच ही महीने में टाटा डोकोमो ने 1 करोड़ से ज्यादा लोगों को नेटवर्क से जोड़ने में कामयाबी हासिल की थी. टाटा डोकोमो को देखते हुए एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने भी 1 सेकंड वाले प्लान्स को लॉन्च करना शुरू कर दिया था.
Tata Docomo क्यों हो गई थी बंदटाटा डोकोमो ने कम टैरिफ की वजह से लोगों के दिलों में अपनी जगह बना ली और धीरे-धीरे इस कंपनी ने टेलीकॉम मार्केट में पैर जमा लिए थे. कंपनी को लगातार घाटा होता गया जिस कारण 2014 में NTT डोकोमो ने अपने हाथ खींच लिए और कंपनी इस वेंचर से बाहर हो गई.
You may also like
बच्चे को ताना मारते रहने पर क्या होता` है? पैरेंटिंग कोच ने बताया पैरेंट्स की इस आदत प्रभाव
किरायेदारों के अधिकार: जानें क्या हैं आपके हक
क्या भाजपा तय करेगी कि किसे 'लव' लिखना है और किसे नहीं : असदुद्दीन ओवैसी
शंघाई मास्टर्स: जोकोविच ने बर्ग्स को हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई
20 साल बाद सपने में आए पिता कहा-` मेरी कब्र सही करवा दो… बेटे ने खुदवाई तो देख हैरत में पड़े लोग