महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान कई शारीरिक और मानसिक परिवर्तन होते हैं। यदि किसी महीने पीरियड्स नहीं आते हैं, तो सबसे पहले यही ख्याल आता है कि क्या वे गर्भवती हैं। हालांकि, यह सच नहीं है कि पीरियड्स का न आना हमेशा प्रेग्नेंसी का संकेत होता है। वास्तव में, पीरियड्स मिस होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनके बारे में जानना आवश्यक है ताकि किसी प्रकार की चिंता न हो।
तनाव और मानसिक स्वास्थ्य
डॉ. सलोनी चड्ढा, सफदरजंग अस्पताल में महिला रोग विशेषज्ञ, बताती हैं कि लगातार तनाव, चिंता और नींद की कमी भी मासिक धर्म की नियमितता को प्रभावित कर सकती है। तनाव के समय शरीर में कॉर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जो ओव्यूलेशन और हार्मोनल संतुलन को बाधित करता है। इस कारण से कई बार पीरियड्स मिस हो जाते हैं।
वजन में बदलाव
शरीर का वजन भी पीरियड्स को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अत्यधिक मोटापे के कारण शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर बढ़ सकता है, जिससे पीरियड्स मिस हो सकते हैं। वहीं, अचानक वजन घटाने पर शरीर ओव्यूलेशन को रोक सकता है, जिससे भी पीरियड्स मिस होते हैं।
दवाओं का प्रभाव
कुछ महिलाएं बर्थ कंट्रोल पिल्स या हार्मोनल दवाएं लेती हैं, जो पीरियड्स को प्रभावित कर सकती हैं। दवाएं बंद करने के बाद भी शरीर को सामान्य चक्र में लौटने में समय लग सकता है।
मेनोपॉज़ और पेरिमेनोपॉज़
40 वर्ष की आयु के बाद महिलाओं में पेरिमेनोपॉज़ की प्रक्रिया शुरू होती है, जिसके दौरान हार्मोनल परिवर्तन के कारण पीरियड्स कभी जल्दी और कभी देर से आते हैं। यह स्थिति धीरे-धीरे मेनोपॉज़ में बदल जाती है।
डॉक्टर से कब सलाह लें?
यदि आपके पीरियड्स बार-बार मिस हो रहे हैं और इसके साथ पेट दर्द, बालों का झड़ना, वजन बढ़ना, थकान या अनियमित ब्लीडिंग जैसी समस्याएं हैं, तो गाइनोकॉलजिस्ट से सलाह लेना आवश्यक है।
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