सोनम वांगचुक. (फाइल फोटो)
जोधपुर केंद्रीय कारागार के अधीक्षक ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया है कि जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक, जिन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (रासुका) के तहत हिरासत में लिया गया है, को एकांत कारावास में नहीं रखा गया है। उन्हें सभी कानूनी अधिकार प्राप्त हैं, जिनका एक कैदी को हक होता है। वांगचुक वर्तमान में जोधपुर जेल में बंद हैं।
जेल अधीक्षक ने अदालत में एक हलफनामे के माध्यम से बताया कि वांगचुक किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित नहीं हैं और उनकी स्वास्थ्य स्थिति पूरी तरह से सामान्य है। हलफनामे में यह भी उल्लेख किया गया है कि उन्हें 20 गुणा 20 फुट के सामान्य बैरक में रखा गया है, जहां वह अकेले रह रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका
हलफनामे में यह स्पष्ट किया गया है कि वांगचुक एकांत कारावास में नहीं हैं, क्योंकि उन्हें सभी अधिकार प्राप्त हैं। यह हलफनामा उनकी पत्नी गीतांजलि अंगमो द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका के जवाब में प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उन्होंने रासुका के तहत अपने पति की हिरासत को चुनौती दी है और उनकी तत्काल रिहाई की मांग की है।
मुलाकातियों से बातचीत की अनुमति मुलाकातियों से बातचीत करने की अनुमति
जेल अधीक्षक ने बताया कि वांगचुक पूरी तरह से स्वस्थ हैं और हिरासत के दौरान सामान्य आहार ले रहे हैं। हलफनामे में यह भी कहा गया है कि राजस्थान कारागार नियमावली, 2022 के अनुसार, रासुका के तहत बंदियों को मुलाकातियों से बातचीत करने के लिए स्थानीय पुलिसकर्मियों की उपस्थिति आवश्यक है।
जेल प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि वांगचुक को मुलाकातियों से मिलने का पूरा अधिकार मिले और कारागार नियमों का पालन किया जाए।
गिरफ्तारी का कारण 26 सितंबर को हुई थी गिरफ्तारी
सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को हिरासत में लिया गया था, जब केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और इसे छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर हिंसक प्रदर्शन हुए थे। इस प्रदर्शन में चार लोगों की मौत हो गई थी और 90 लोग घायल हुए थे। सरकार ने उन पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है।
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