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GST परिषद ने 5% और 18% टैक्स स्लैब को दी मंजूरी, 12% और 28% स्लैब हटाए गए; जल्द ऐलान संभव

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GST परिषद ने आज (3 सितंबर) टैक्स सिस्टम में बड़े बदलाव को मंजूरी दे दी है। अब सिर्फ दो टैक्स स्लैब रहेंगे- 5% और 18%। इसके साथ ही 12% और 28% की दरें खत्म कर दी गई हैं। हालांकि, अभी तक इसके बारे में सरकार या GST परिषद की ओर से कोई ऑफिशियल तौर पर इसका ऐलान नहीं किया गया है। अभी यह जानकारी मीडिया रिपोर्ट के हवाले से दी जा रही है। GST परिषद की ओर से जल्द इसके बारे में ऐलान किया जा सकता है।



इस बदलाव को लेकर GST परिषद की 56वीं बैठक दो दिन चलेगी, जो 3 सितंबर से शुरू होकर 4 सितंबर को खत्म होगी। इस बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कर रही हैं, जिसमें सभी राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, फुटवियर और कपड़ों पर भी टैक्स में राहत मिलने वाली है। अब उन वस्तुओं की कीमत अगर 2,500 रुपए तक है तो उन पर टैक्स सिर्फ 5% लगेगा। पहले यह लिमिट 1,000 रुपए तक थी, जिसके ऊपर 12% टैक्स लगता था। इस फैसले से आम लोगों को काफी फायदा होगा क्योंकि अब महंगे कपड़े और जूते भी सस्ते हो जाएंगे।



हेल्थ सेक्टर में भी राहत

मंत्रियों के ग्रुप ने पहले ही फैसला किया था कि GST में बदलाव करके इसे सिर्फ दो टैक्स रेट्स में बांटा जाएगा- 5% और 18%। ये नए नियम जल्द ही लागू हो सकते हैं और ये त्योहारी सीजन से ठीक पहले शुरू होंगे ताकि लोगों को फायदा हो सके। इसके अलावा, GST परिषद ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम को टैक्स से मुक्त करने और जीवन बचाने वाली दवाओं पर टैक्स कम करने की योजना बनाई है। इसका मतलब है कि इन चीजों पर अब कम टैक्स लगेगा, जिससे लोगों को राहत मिलेगी।



MSME रजिस्ट्रेशन में तेजी और उद्योगों को रिफंड की सुविधा

माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (MSME) के लिए भी अच्छा कदम उठाया जा रहा है। अब उनका रजिस्ट्रेशन तीन दिन के अंदर पूरा करने की योजना है, जबकि अभी यह प्रोसेस कई हफ्ते लगती है। इससे छोटे बिजनेस को बहुत मदद मिलेगी। कपड़ा, फार्मा, केमिकल, उर्वरक और अन्य उद्योगों के लिए फंसे हुए टैक्स रिफंड भी जल्द ही 7 दिनों के अंदर दिए जाएंगे। इससे उद्योगों को आर्थिक मदद मिलेगी और कारोबार में तेजी आएगी।



विपक्षी राज्यों की केंद्र से राजस्व हानि की भरपाई की मांग

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कुछ राज्य जो विपक्ष में हैं, उन्होंने केंद्र सरकार से कहा है कि अगर इस बदलाव से उनका रेवेन्यू (राजस्व) कम होगा तो उन्हें उसकी भरपाई की जाए। हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक जैसे राज्य इस बात पर जोर दे रहे हैं कि उन्हें नुकसान का पूरा मुआवजा दिया जाए।

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