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मल्टीबैगर रिटर्न तो भूल जाइए! सेंसेक्स-निफ्टी ने निवेशकों को किया निराश, पिछले 1 साल में शेयर बाजार से बेहतर निकली FD

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भारत का शेयर बाजार पहले बहुत अच्छा रिटर्न देता था और निवेशकों को अच्छा फायदा होता था। लेकिन अब पिछले एक साल से बाजार में खास बढ़ोतरी नहीं हुई है। पिछले एक साल में सेंसेक्स और निफ्टी ने लगभग फ्लैट रिटर्न दिए हैं। मतलब, जो स्टॉक पहले पैसा बनाने वाले लग रहे थे, अब उनका दाम बढ़ना बंद हो गया है। इससे निवेशक थोड़े निराश हो गए हैं।



म्यूचुअल फंड्स में लोग रोजाना पैसा डाल रहे हैं, जिससे बाजार पूरी तरह नीचे नहीं गिर रहा। लेकिन विदेशी निवेशक और बड़ी कंपनियों के मालिक अपने शेयर बेच रहे हैं। इसलिए बाजार कहीं अटका हुआ है- ना ऊपर जा रहा है और ना नीचे गिर रहा है। इसे ऐसे समझिए जैसे बाजार थोड़ा आराम कर रहा हो।

पिछले एक साल में सिर्फ 145 अंक बढ़ा निफ्टी

पिछले एक साल में शेयर बाजार में बहुत कम बढ़त हुई है। निफ्टी सिर्फ 145 अंक बढ़ा है, यानी लगभग कुछ भी नहीं। मिडकैप शेयरों में 1.5% की गिरावट आई है, और स्मॉलकैप, जिन्हें छोटे निवेशक ज्यादा पसंद करते हैं, उनमें 6% की गिरावट आई है। निफ्टी नेक्स्ट 50 ने तो 9% तक निवेशकों का पैसा डुबा दिया है। सबसे ज्यादा नुकसान सरकारी कंपनियों (PSU) के शेयरों में हुआ है। जैसे ही सरकार ने नए प्रोजेक्ट्स पर खर्च कम करके लोगों की खरीदारी (कन्सम्पशन) को बढ़ावा देने पर ध्यान दिया, इन कंपनियों के शेयर 16% से भी ज्यादा टूट गए।



मारसेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के चीफ ऑफ क्वांटिटेटिव रिसर्च कृष्णन वी आर ने ET मार्केट्स से कहा- 'पिछले साल सितंबर के अंत तक वैल्यूएशन अपने उच्चतम स्तर पर था और कॉरपोरेट आय बढ़ोतरी मिड-सिंगल डिजिट पर सिमटने के कारण यह कोई आश्चर्य नहीं कि पिछले एक साल में इक्विटी इंडेक्स लगभग स्थिर रहे। आज भी अधिकांश प्रमुख सेक्टर या तो फुल असैसमेंट लेवल पर हैं या उसके करीब हैं।' वो भी ये कहते हैं कि जो सेक्टर आम लोगों की जरूरतों से जुड़े हैं (जैसे FMCG), उन्हें सरकार की टैक्स और रेट में कटौती का फायदा मिल सकता है। लेकिन दूसरी तरफ, सरकार का खर्च कम हो रहा है और निर्यात पर टैरिफ बढ़ने से नुकसान भी हो रहा है। ऊपर से प्राइवेट कंपनियां अभी ज्यादा निवेश नहीं कर रही हैं।



बैंक की फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे निवेश में तो आपको तय रिटर्न मिल जाता है, लेकिन शेयर बाजार ऐसा नहीं होता। यहां फायदा और नुकसान- दोनों समय के साथ बदलते रहते हैं। एक समय अच्छा रिटर्न मिलता है, तो कभी-कभी कुछ समय के लिए कम या कोई रिटर्न नहीं मिलता।

बड़ी कंपनियों के शेयर अब ज्यादा महंगे नहीं

UTI AMC के अमित कुमार प्रेमचंदानी का कहना है कि इस समय बड़ी कंपनियों (लार्ज कैप्स) के शेयरों की कीमतें अब 'फेयर वैल्यू' यानी संतुलित स्तर पर पहुंच चुकी हैं। मतलब ये कि इनकी कीमत अब बहुत ज्यादा नहीं लगती। लेकिन छोटे और मिड साइज कंपनियों के शेयर अभी भी काफी महंगे हैं। उनके म्यूचुअल फंड की इन-हाउस रिसर्च टीम अब 65% से 70% तक पैसा शेयर बाजार (इक्विटी) में लगाने की सलाह दे रही है। यह पिछले कुछ महीनों से 5% बढ़ा है, यानी वे अब शेयर बाजार में थोड़ा ज्यादा भरोसा दिखा रहे हैं।

सिर्फ कहानियों पर चलने वाले शेयरों से बचें

प्रेमचंदानी ने चेतावनी दी कि जो स्टॉक्स सिर्फ 'कहानियों' या अफवाहों के दम पर तेजी से ऊपर गए थे, वे अब सबसे ज्यादा जोखिम में हैं। जिन कंपनियों की असली कमाई और ग्रोथ मजबूत है, वे अभी भी बेहतर ऑप्शन हैं। इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि अमेरिका ने भारत पर जो भारी टैरिफ (टैक्स) लगाए हैं, उसका असर भारत की अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार पर पड़ सकता है।

GST में राहत से बाजार को मिल सकता है फायदा

Emkay Global नाम की एक घरेलू ब्रोकरेज कंपनी का मानना है कि आने वाले 2-3 तिमाही के लिए भारतीय शेयर बाजार में अच्छी संभावनाएं हैं। खासकर अगर सरकार GST दरों में कटौती करती है, तो इसका फायदा कंपनियों और बाजार दोनों को होगा। इससे अमेरिकी टैरिफ का असर भी कम हो सकता है।

बाजार में गिरावट हो तो घबराएं नहीं, मौका समझें

भले ही शेयर बाजार में अभी कुछ उतार-चढ़ाव बना रहे, लेकिन जब तक आपकी निवेश योजना मजबूत है, तब तक घबराने की जरूरत नहीं। Emkay का मानना है कि अगर बाजार में बड़ी गिरावट आती है, तो वो निवेश करने का एक अच्छा मौका हो सकता है।

बड़े शेयरों में ज्यादा सुरक्षा, छोटे शेयरों में सावधानी जरूरी

Equirus Securities का कहना है कि फिलहाल बड़ी कंपनियों (लार्ज कैप्स) में निवेश करना सबसे सुरक्षित है। मिडकैप शेयरों को ध्यान से चुनना चाहिए- सिर्फ उन्हीं कंपनियों में निवेश करें, जिनका बिजनेस स्थायी रूप से बढ़ रहा है। स्मॉलकैप शेयरों से फिलहाल दूरी बनाकर रखें, जब तक उनकी कमाई स्थिर न हो जाए। Equirus मानती है कि अब बाजार में 'लीडरशिप' यानी आगे बढ़ने वाले शेयर बदल सकते हैं। अब बड़ी और मजबूत कंपनियां फिर से निवेशकों की पहली पसंद बन सकती हैं, क्योंकि उनकी कीमत और कमाई अब संतुलन में आ रही है।

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