रोहित शर्मा आखिरी बार बतौर टेस्ट क्रिकेटर भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे में नज़र आए.
इस टूर में जब उन्होंने सिडनी में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले गए पांचवें टेस्ट से खुद को बाहर रखा तो इसकी भी खूब चर्चा हुई.
एक कप्तान ने ख़ुद को प्लेइंग 11 से बाहर रखा हो इसकी मिसाल टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में पहले सिर्फ एक बार देखने को मिली थी. रोहित के इस फ़ैसले की सराहना और आलोचना दोनों हुईं.
लेकिन कोई भी इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि यह फ़ैसला केवल रोहित के व्यक्तित्व जैसा क्रिकेटर ही ले सकता था. जिसके अंदर आत्म सम्मान और निस्वार्थ भाव दोनों हों और उसमें फ़ैसले लेने की क्षमता भी हो. इसके बाद से रोहित शर्मा के टेस्ट से रिटायर होने की अफ़वाहें उड़ती रहीं.
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हालांकि भारतीय क्रिकेट के अंदर भी ये तस्वीर साफ़ थी कि रोहित शर्मा के लिए अगली टेस्ट सिरीज में जगह बना पाना मुश्किल होगा.
जून में इंग्लैंड दौरे से वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के नए साइकल की शुरुआत होगी. ये ज़ाहिर था कि रोहित शर्मा शायद ही दो साल तक खेले जाने वाली आईसीसी टेस्ट चैंपियनशिप का हिस्सा रह पाएंगे.
कप्तान के तौर पर रोहित शर्मा ने पहले ही भारतीय सिलेक्टर्स को बता दिया था कि अगर वो उन्हें ड्रॉप करने का विचार बना रहे हैं तो स्पष्ट रूप से इसकी जानकारी दे दी जाए. ये उन्हें भविष्य के लिए फ़ैसला करने में मदद करेगा.
क्या मुश्किल था टीम में जगह बनाना?ऑस्ट्रेलिया दौरे के बाद उनकी कप्तानी में भारत को आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में जीत मिली. ये उनकी कप्तानी में भारत का दूसरा आईसीसी खिताब था. इसके साथ ही ये अफवाहें भी सामने आईं कि उन्होंने स्वीकार कर लिया है कि उनका टेस्ट करियर खत्म हो चुका है.
बावजूद इसके अप्रैल के मध्य में उन्होंने माइकल क्लार्क के साथ एक पॉडकास्ट में कहा कि वो रिटायर होने के बारे में विचार नहीं कर रहे हैं.
लेकिन बीते हफ्ते बुधवार को इंस्टाग्राम पोस्ट से साफ हो गया कि सिलेक्टर्स ने उन्हें इंग्लैंड दौरे के लिए नहीं चुने जाने का मैसेज दे दिया है.
ये एक फै़क्ट है कि रोहित शर्मा इससे परेशान हुए होंगे, कोई भी बड़ा खिलाड़ी इस तरह के फ़ैसले से निराश होगा. लेकिन फै़सला पहले ही लिया जा चुका था.
संन्यास के एलान के बाद रोहित शर्मा के टेस्ट करियर की हर किसी ने सराहना की.
नंबर्स के हिसाब से वो भारत के टॉप टेस्ट बैटर्स में शुमार नहीं हैं. 116 पारियों में उन्होंने 4301 रन बनाए और वो अंजिक्य रहाणे, एम एस धोनी और मोहिंदर अमरनाथ से भी पीछे रहे.
रोहित शर्मा 2008 में ऑस्ट्रेलिया में खेली गई सीबी सिरीज के बाद सबकी नजरों में आए. इयान चैपल ने तो नंबर चार की पोजिशन पर उन्हें सचिन तेंदुलकर का वारिस तक घोषित कर दिया.
उनकी तकनीक बेजोड़ थी. लेकिन टेस्ट फॉर्मेट ने रोहित शर्मा का इम्तिहान लिया. 2010 में वो टेस्ट डेब्यू से ठीक पहले चोटिल हो गए और उन्हें अगला मौका तीन साल बाद मिला.
शुरुआती दो टेस्ट में लगातार शतक लगाने के बावजूद वो टीम में अपनी जगह पक्की नहीं कर पाए. टेस्ट क्रिकेट में उनका करियर चोटों से भी प्रभावित हुआ. ये लिमिटिड ओवर्स फॉर्मेट में जो सफलता उन्हें मिली थी उसके उलट था.
टेस्ट डेब्यू के छह साल के बाद 2019 में टेस्ट बल्लेबाज के तौर पर रोहित शर्मा की क्षमताएं सामने आईं और उन्होंने अलग छाप छोड़ी.
अक्तूबर 2019 में भारतीय टीम के लिए पारी शुरुआत करने का मौका मिलने के बाद उन्होंने 38 टेस्ट खेले. इस दौरान उन्होंने अपने टेस्ट करियर के कुल 4301 में से 60 फीसदी (2697) रन बनाए.
ईएसपीएनक्रीकइंफो के स्टेटिशियन राइटर संपत बंडारुपल्ली के मुताबिक रोहित शर्मा के रिकॉर्ड को तोड़ पाना मुश्किल होगा. रोहित शर्मा ने टेस्ट में 12 शतक लगाए और उन सभी मैचों में टीम को जीत मिली. कोई भी और क्रिकेटर ये कारनामा (पैमाना-कम से कम चार शतक) नहीं कर पाया है.
इस मामले में दूसरे नंबर पर ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान वारविक आर्मस्ट्रांग हैं, जिन्होंने 1900 की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया टीम की अगुवाई की. उन्होंने छह शतक लगाए थे और उन सभी मैचों में ऑस्ट्रेलिया को जीत मिली थी.
टेस्ट में ओपनर बनने के बाद मिली सफलता
रोहित शर्मा ने अक्तूबर 2019 में भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट में ओपनिंग करनी शुरू की और उसके बाद उन्होंने अपने टेस्ट करियर के 12 में से नौ शतक लगाए. इस दौरान दुनिया का कोई भी और ओपनर इतने शतक नहीं लगा पाया.
अपने सहयोगी विराट कोहली की तरह रोहित शर्मा भारतीय टेस्ट बल्लेबाजी का मजबूत हिस्सा बने और क्रिकेट के सभी फॉर्मेट में संतुलन बनाने की कोशिश की.
2019 के बाद भारत को टेस्ट में मिली सफलता में रोहित शर्मा की भूमिका की सराहना होनी चाहिए.
हालांकि टेस्ट में रोहित शर्मा का आखिरी सीजन बतौर कप्तान और बल्लेबाज़ निराशाजनक रहा. भारत को पहली बार न्यूजीलैंड ने घर में 0-3 से हराया. इसके बाद बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में भी उनके हाथ निराशा लगी.
चैंपियंस ट्रॉफी की सफलता और आईपीएल की फॉर्म वापसी के बावजूद रोहित शर्मा टेस्ट में उस लेवल पर नहीं पहुंच पाते जिसकी इंग्लैंड में ज़रूरत थी. इसलिए रोहित शर्मा को सिलेक्टर्स का साथ नहीं मिला.
रोहित शर्मा की अनुपस्थिति में कोहली को इंग्लैंड के खिलाफ एक और बार खेलने के लिए मनाने की ज़रूरत थी. क्योंकि बहुत कम अनुभव के साथ इंग्लैंड का दौरा करना ख़तरे को न्योता देने जैसा है.
रोहित शर्मा के बाद कौन?रोहित शर्मा के संन्यास के बाद पहला सवाल ये है कि उनकी जगह कौन लेगा. जब भी इसका एलान होगा तब ये पहला मौका बनेगा कि तीनों ही फॉर्मेट में भारतीय टीम के अलग-अलग कप्तान होंगे.
भारतीय क्रिकेट से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक़ शुभमन गिल इस रेस में सबसे आगे हैं. उनके मुताबिक, "हमारे पास बहुत सारे विकल्प नहीं हैं और किसी न किसी स्तर पर किसी को ये काम सीखना ही होगा."
गिल को एक अच्छा खिलाड़ी माना जाता है और उन्होंने आईपीएल में इस साल भी गुजरात के लिए अच्छा प्रदर्शन किया है.
जसप्रीत बुमराह एक वक्त पर टीम के उप कप्तान थे. लेकिन उन्हें कप्तानी नहीं दी जाएगी. क्योंकि टीम मैनेजमेंट और सिलेक्टर्स की नज़र में बतौर गेंदबाज़ वो ज़्यादा अहम हैं और उनका वर्कलोड मैनेज करने की ज़रूरत है.
नया कप्तान रिटायर हो चुके रोहित शर्मा से कोई एक बात सीख सकता है तो वो ये है कि अपने साथियों को सहजता के साथ कैसे रखा जाए.
उनका दोस्त बनना और मैदान पर उनके साथ मज़ाक भी करना जैसे उन्होंने 'गार्डन में घूमने वाले' जूनियर्स कहकर किया.
गिल के अलावा दो और बल्लेबाज़ हैं जो इस भूमिका के लिए दावेदारी पेश कर सकते हैं. वो हैं केएल राहुल और श्रेयस अय्यर.
रोहित शर्मा के संन्यास के बाद अगर विराट कोहली इंग्लैंड के दौरे पर जाते तो भी भारत को बदलाव की ज़रूरत होती. अब अगली वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप साइकल के साथ ये बदलाव अपनी राह पर हैं.
(बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित)
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