मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा द्वारा 'औरंगजेब' को लेकर दिए गए हालिया बयान ने सोमवार को फिर माहौल गरमा दिया। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने विश्वविद्यालय प्रशासनिक भवन का घेराव कर जमकर विरोध प्रदर्शन किया। साथ ही कुलपति को बर्खास्त करने की मांग की गई।दो दिन पहले, एक कार्यक्रम में एमएलएसयू की कुलपति ने मुगल शासक अकबर को महान राजा और औरंगजेब को कुशल प्रशासक बताया था। इसके विरोध में सैकड़ों एबीवीपी कार्यकर्ता प्रशासनिक भवन के बाहर एकत्र हुए और नारेबाजी की। एबीवीपी विश्वविद्यालय छात्र संघ के पदाधिकारी भी इसमें शामिल हुए। छात्रों ने पुतले के साथ विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार से प्रशासनिक भवन तक रैली निकाली।
छात्रों ने कहा- बयान स्वीकार्य नहीं
पदाधिकारियों ने कहा कि अकबर और औरंगजेब दोनों ने भारत की संस्कृति, धर्म और स्वाभिमान को रौंदा। महाराणा प्रताप का संघर्ष अकबर की साम्राज्यवादी नीति के विरुद्ध स्वतंत्रता और स्वाभिमान की रक्षा के लिए था। औरंगज़ेब के अत्याचारों, धार्मिक कट्टरता और मंदिरों के विध्वंस को इतिहास कभी नहीं भूल सकता। ऐसे में कुलपति का बयान छात्रों और समाज में गलत संदेश फैलाता है। किसी भी शिक्षण संस्थान में इतिहास से छेड़छाड़ छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। इसे किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। शहर के कुछ अन्य संगठनों ने भी सुखाड़िया विश्वविद्यालय के कुलपति को हटाने की मांग को लेकर जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा।
अनिश्चितकालीन आंदोलन का आह्वान
एबीवीपी पदाधिकारियों ने कहा कि अगर कुलपति को बर्खास्त नहीं किया गया तो विश्वविद्यालय और सरकार के खिलाफ व्यापक आंदोलन किया जाएगा। ऐसा होने तक विश्वविद्यालय को बंद रखने का आह्वान किया गया। ज्ञापन सौंपने वालों में सुमित चौधरी, तुषार वागेला, गौतम बंधु, त्रिभुवन सिंह, भानुप्रताप सिंह, धनंजय, हर्ष राजानी, विवेक पाटीदार, चिराग तिवारी के साथ ही एबीवीपी के पूर्व छात्रसंघ पदाधिकारी भी शामिल थे।
उन्होंने भी अपने विचार व्यक्त किए
- एबीवीपी महानगर मंत्री पुष्पेंद्र सिंह राठौड़ ने इस बयान को युवाओं को गुमराह करने वाला, असंवैधानिक, राष्ट्रविरोधी बताया, जो क्षम्य नहीं है। उन्होंने कहा कि कुलपति को बर्खास्त किए जाने तक आंदोलन जारी रहेगा।
- एबीवीपी इकाई अध्यक्ष प्रवीण टांक ने कहा कि प्रो. सुनीता मिश्रा जब से कुलपति बनी हैं, तब से वे विश्वविद्यालय की छवि धूमिल कर रही हैं। उनके आचरण से छात्रों समेत विश्वविद्यालय का हर वर्ग क्षुब्ध है।
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