डीडवाना जिले के मकराना में इस बार दशहरा पर्व को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। हर साल की तरह इस बार भी रावण के पुतले का निर्माण जारी है, लेकिन इस बार मकराना के लोग एक अनोखा दृश्य देखने वाले हैं। इस वर्ष दशहरे के दिन 75 फुट ऊंचा रावण का भव्य पुतला दहन किया जाएगा, जो हाथी पर सवार होगा।
भव्यता और कला का अद्भुत संगम
मकराना के रावण पुतले की खासियत यह है कि यह पूरी तरह से स्थानीय कारीगरों और कलाकारों की मेहनत से तैयार किया जा रहा है। पिछले 45 दिनों से लगभग 50 कारीगर दिन-रात इस पुतले के निर्माण में जुटे हुए हैं। पुतले का आकार और उसका डिज़ाइन एकदम भव्य और आकर्षक है, जो इस बार दशहरे के पर्व पर एक अद्भुत दृश्य पेश करेगा।
पुतले का निर्माण कार्य स्थानीय कारीगरों की टीम द्वारा किया जा रहा है, और इस बार इसके लिए बाहर से कोई टीम नहीं बुलाई गई है। यह पुतला विशेष रूप से हाथी पर सवार रावण का रूप ले रहा है, जो अपनी भव्यता में दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देगा। इस अनोखे पुतले को बनाने में जुटे कारीगरों का कहना है कि उनका उद्देश्य इस बार दशहरा पर्व को और भी विशेष बनाना है।
लागत और कारीगरों की मेहनत
पुतले के निर्माण में अनुमानित रूप से ढाई से तीन लाख रुपये तक का खर्च आ सकता है, जो स्थानीय कारीगरों द्वारा पूरी मेहनत से तैयार किया जा रहा है। कारीगरों का कहना है कि यह पुतला केवल एक कला का उदाहरण नहीं होगा, बल्कि यह मकराना की सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक बनेगा।
मकराना, जिसे संगमरमर के लिए जाना जाता है, इस बार अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को दशहरा के दौरान और भी महत्वपूर्ण रूप से दर्शाएगा। पुतले की ऊंचाई और उसका डिज़ाइन दर्शकों के लिए एक यादगार अनुभव होगा। कारीगरों ने इस बार पुतले को और भी सुंदर और आकर्षक बनाने के लिए अपनी पूरी मेहनत और कला का इस्तेमाल किया है।
दशहरा पर्व के लिए उत्साह
मकराना में दशहरे का पर्व हमेशा ही खास होता है, और इस बार की तैयारियों ने उत्साह को और भी बढ़ा दिया है। शहर के लोग इस भव्य पुतले को देखने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। पुतला दहन के दिन शहर के लोग बड़े धूमधाम से इस पर्व को मनाते हैं, और इस बार तो 75 फुट ऊंचा रावण और उसकी विशेष सवारी हाथी पर सवार रावण एक नई ऊर्जा लेकर आएगा।
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